ऑफीस के लिए तैयार होकर वो चला गया...प्राची ने सिर्फ़ आज के लिए और छुट्टी ले रखी थी...इसलिए वो उसके साथ नहीं गयी, अजय सीधा अपनी कार में जाकर बैठा और उसने रिया को फोन किया..एक मिनट में ही रिया नीचे आ गयी और दोनो चल दिए.
आज सुबह की बातें याद करते-2 अजय गाड़ी चला रहा था...और इसलिए उसने इस बात पर भी ध्यान नही दिया की आज रिया कुछ ख़ास ही तरह से तैयार होकर आई है उसके लिए..अब उसका कोई बाय्फ्रेंड तो था नही,सिर्फ़ एक अजय ही था जो उसकी बात-बेबात तारीफ करता रहता था..और लड़कियो को यही बात सबसे ज़्यादा किसी की तरफ आकर्षित करती है की कोई तो है जो उनकी सुंदरता और कपड़ो की तारीफ करता है...ऐसे में उस इंसान के लिए कुछ ख़ास तरीके से तैयार होने में बुराई ही क्या है.
और जैसा रिया ने अपने जीजू के बारे में नोट किया था, वो अक्सर उसकी छातियों की तरफ ही देखते रहते थे (वैसे हर ठरकी की नज़र लड़की की छातियों पर ही रहती है) इसलिए उसने आज एक ऐसी कुर्ती पहनी हुई थी जिसके साथ उसने चुन्नी भी नही ली थी...वैसे भी उसकी छातियाँ काफ़ी छोटी थी...पर इतनी भी नही की उन्हे नरअंदाज किया जा सके...ख़ासकर अजय की नज़रों से...वो तो चुन्नी के नीचे की चीज़ों को भी नज़रों से चोद कर रख देता था...
अजय को अपनी ही मस्ती में कार चलाते हुए देखकर रिया ने ही बात शुरू की
रिया : "जीजू, क्या बात है, आज आप कुछ खोए-2 से लग रहे है...ध्यान कहाँ है आपका ..''
अजय : "मेरा...अरे ...कहीं तो नही....क्यो ....''
रिया : "जीजू....आपने तो मेरी तरफ देखा भी नही ...जब से कार में बैठी हू आपका ध्यान तो सिर्फ़ सड़क की तरफ है...और ना जाने क्या सोच-सोचकर मुस्कुराए जा रहे हो आप ....''
अजय को अपनी ग़लती का एहसास हुआ...वो समझ गया को रिया अपने आप को इग्नोर फील कर रही है...उसने तुरंत उसकी तरफ देखा...उसके चाँद से दमकते चेहरे को देखने के बाद जब उसकी नज़र फिसल कर उसकी छातियों की तरफ गयी तो उसे पता चला की वो कितना बड़ा उल्लू का पट्ठा है...ऐसे सीन को छोड़कर वो ख़यालो में अपनी सास के मुम्मों के बारे में सोच-सोचकर मुस्कुराए जा रहा था...और उपर से रिया की बातों से साफ़ जाहिर था की वो उसी के लिए बिना चुन्नी की कुरती पहन कर आई है...ताकि वो उसके बदन को अच्छी तरह से निहार सके.
अच्छी तरह से निहारना ही अजय का काम ही नही था...वो तो ऐसे बदन को आँखो से चोद कर ही मानता था...और वो अब यही कर रहा था...कार की स्पीड तो उसने धीरे कर दी पर अपनी आँखो से चोदन की प्रक्रिया तेज कर दी...अब मंद-2 मुस्कुराने की बारी रिया की थी...भले ही रिया का चेहरा सामने की तरफ था, पर बगल में बैठे जीजू की नज़रों को वो अपने जिस्म पर साफ़ महसूस कर रही थी...और उन आँखो की चुभन को महसूस करते हुए उसके निप्पल कब खड़े हो गये उसे भी पता नही चला...पर अजय को पता चल गया जब देखते ही देखते उसकी आँखो के सामने रिया की नन्ही सी ब्रेस्ट पर छोटे-2 दो बेर उग आए..
अजय : "उम्म्म....सेक्सी.....लग रही हो रिया...''
रिया की मुस्कुराहट हँसी मे बदल गयी.
''थॅंक्स जीजू...मुझे पता था की आपको ऐसी ड्रेस पसंद आएगी...''
अजय (अनजान बनते हुए) : "क्यो ?? ऐसा क्या ख़ास है इस ड्रेस में ..''
रिया बेचारी इतनी भोली थी की ये भी ना समझ पाई की उसके जीजू अब उससे मज़े ले रहे है
वो बोली : "क्या जीजू...आपने तो नोट ही नही किया...आज मैने चुन्नी नही पहनी हुई...देखो...''
और उसने अपना नन्हा सा सीना तान कर अपने जीजू के सामने परोस दिया..
अजय की गाड़ी ठूकते-2 बची...
अजय का मन तो कर रहा था की आगे हाथ करके वो उन्हे दबोच ले...मसल दे...निचोड़ दे उन नींबुओं को...पर वो जल्दबाज़ी नही करना चाहता था.
अजय : "ओहो....ये तो मैने देखा ही नही....वाव् ...सच में ...कमाल के लग रहे है ये दोनो...''
''ये दोनो'' सुनकर पल भर के लिए तो रिया के चेहरे की रंगत ही बदल गयी....उसकी आँखो मे शर्म के लाल डोरे तेर गये...एक पल के लिए तो वो समझ ही नही पाई की उसके जीजू किन दोनों की बात कर रहे है....क्या उन्होने उसके दोनो बूब्स के बारे में ऐसा बोला है....पर ऐसा तो वो बोल ही नही सकते....
फिर भी अपनी शंका का समाधान करने के लिए उसने सकुचाते हुए पूछ ही लिया : "किन दोनो की बात कर रहे हो आप जीजू...''
अजय : "इन दोनों की...और किसकी...''
अजय ने बिना उसकी तरफ देखे हुए कहा...वो अंदर ही अंदर अपनी हँसी को दबाने की कोशिश कर रहा था, इसलिए रिया की आँखों में देखे बिना उसने ये बोल दिया...वो जानता था की जो वो बोल रहा है वो उसकी सीमा से आगे है...पर अब खेल को अगले चरण में ले जाने का वक़्त आ चुका था.
रिया : "क्या जीजू....सॉफ-2 बोलो ना...कौन दोनो...''
शायद वो अब खुद ही सुनना चाहती थी की उसके जीजू उसके बूब्स के बारे में बोल रहे है
अजय : "अरे भाई...ये दोनो....तुम्हारे बूब्स...चुननु मुननू...''
रिया : "चुननु मुननू ??"
अजय : "हाँ , चुननु मुननू...मैं तो प्राची के बूब्स को भी इसी नाम से बुलाता हूँ ...दे आर माय सॉफ्ट टाय्स...चुननु मुननू...''
रिया तो शर्म से गड़ी जा रही थी....उसके जीजू कितनी आसानी से उसके बूब्स के बारे में बात कर रहे थे...और तो और उन्हे उसी नाम से बुला रहे थे जिस नाम से वो उसकी प्राची दीदी के बूब्स को बुलाते हैं....ये लास्ट वाली बात सोच-सोचकर उसके दिल की धड़कने और ज़ोर से बड़ गयी...
वो कुछ और बोल नही पाई क्योंकि तब तक उसका इन्स्टिट्यूट आ गया...और वो उतर गयी..
उसके बाद अजय अपने ऑफीस चला गया.
दोनो के मन में ये सुबह वाली बात पूरे दिन घूमती रही.
शाम को अजय जब घर के लिए वापिस जाने . तो उसका फोन बज उठा..उसने देखा तो उसकी सास का नंबर था...उसने मुस्कुराते हुए फोन उठा लिया और बोला : "बोलो जानेमन...क्या हाल है आपका...''
और दूसरी तरफ से जो आवाज़ आई उसे सुनकर उसके होश उड़ गये...वो फोन प्राची ने किया था..
''जानेमन ???? ये क्या है अजय....ये तो मैने मम्मी के फोन से कॉल की है...और तुमने सीधा जानेमन बोल दिया...''
अजय की तो सिट्टी पिटी गुम हो गयी...उसने डरते-2 कहा : "वो बस अंदाज़ा लगाया था मैने...''
वो जानता था की ये बहाना प्र्याप्त नही है...वो कुछ और सोचने लगा पर तब तक प्राची के हँसने की आवाज़ आने लगी...
अजय ने डरते-2 पूछा : "क्या हुआ...तुम हंस क्यो रही हो...??''
प्राची : "ओह अजय....मैं तो ये सोचकर हंस रही थी की अगर सच में माँ ने फोन किया होता और उन्हे तुम्हारा ये जानेमन सुनने को मिल जाता तो उन्हे तो हार्ट अटैक ही पड़ जाता....हा हा हा...''
और वो फिर से बिना ब्रेक के हँसने लगी..
अजय ने उपर वाले का शुक्र मनाया की उसे कुछ शक नही हुआ.
वो बोला : "ओहो...पर मुझे तो पता ही था...क्योंकि मॉम तो सुबह से घर पर ही है ना तुम्हारे पास....उन्होने आज तक तो मुझे कॉल किया नही...आज पहली बार कॉल आया है,इसलिए अंदाज़ा लगा लिया था की तुम ही कॉल कर रही हो...चलो अब बताओ...तबीयत कैसी है...''
और अजय ने उसे इधर-उधर की बातों मे लगाकर ''जानेमन'' वाली बात को भुला सा दिया.
कुछ देर बाद प्राची बोली : "अच्छा सुनो, एक काम करना होगा तुम्हे आज, इसलिए ही कॉल की है..तुम ऑफीस से वापिस आते हुए पूजा को लेते हुए आ जाना...आज उसके कॉलेज में एक फंक्शन था, जिसकी वजह से वो लेट हो जाएगी...पापा की तबीयत ठीक नही है, इसलिए माँ ने मुझे कहा की तुम्हे कॉल करके बोल दे..''
अजय के मन में तो पूजा के कॉलेज जाने की बात सुनकर ही जल तरंग बजने लगी..वैसे भी अपनी सास और रिया के चक्कर में वो अपने ससुराल के सबसे सेक्सी मॉल को भूल ही चूका था
वो बोला : "अरे,इसमें क्या प्राब्लम है...मैं अभी चला जाता हू...''
अजय ने टाइम देखा, 6 बजने वाले थे.
प्राची : "अरे, अभी नही, वो 9 बजे तक फ्री होगी...और उसका कॉलेज तो तुम्हारे ऑफीस से भी आगे है, अभी तो 3 घंटे पड़े है...तुम ऑफीस में ही रहो या अपने किसी दोस्त के साथ घूम लो...उसके बाद चले जाना...''
अजय ने हाँ बोलकर फोन रख दिया.
उसने तुरंत अपने ऑफीस के दोस्त को बोला, और दोनो ने बियर पीने का प्रोग्राम बना लिया, 3 घंटे बीतने का इससे अच्छा आइडिया नही आया अजय के दिमाग़ में ..
3 घंटे में 3 बियर पीने के बाद अजय ने अपने दोस्त को अलविदा किया और वो पूजा के कॉलेज की तरफ चल दिया.
और वहां के नज़ारे देखकर उसके दिल की घंटियाँ ज़ोर-2 से बजने लगी...
हर तरफ ताज़ा माल बिखरा पड़ा था...एक से एक सुंदर लड़कियाँ रंग बिरंगी ड्रेस में घूम रही थी...कॉलेज के लॉन में कोई कलचर प्रोग्राम था, जो अभी-2 ख़त्म हुआ था...
ज़्यादातर लड़कियो के पेरेंट्स या फिर उनके बॉय फ्रेंड्स उन्हे लेने के लिए आए हुए थे..
अजय की नज़रें तो अपनी साली को ढूँढ रही थी...जो उसे जल्द ही दिखाई दे गयी..
अपनी सहेलियों के साथ आती हुई..
जिसे देखकर अजय के लंड ने अकड़ना शुरू कर दिया..बड़ी ही सेक्सी लग रही थी वो.
वो मन ही मन ख्याली पुलाव बनाने लगा...
पर वो भी नही जानता था की आज की रात उसकी किस्मत में क्या लिखा है.
एक तो ठंडी बियर का हल्का-2 सरूर और उपर से जवान चूतों की खुश्बू जो अजय को अपने रोम-2 में महसूस हो रही थी...ऐसा लग रहा था की हर लड़की उसके लंड की प्यासी है वहाँ...एक तो देखने में वो काफ़ी हॅंडसम था,उपर से वो शादी शुदा भी नही लगता था...इसलिए हर लड़की उसे उपर से नीचे तक ऐसे देख रही थी जैसे किसी लड़को के कॉलेज में कोई जवान लड़की पहुँच जाए तो उसे देखते है..
सभी पेरेंट्स धीरे-2 अपने बच्चों को लेकर निकल रहे थे.पूजा ने जब अपने जीजू को देखा तो उसके चेहरे पर एक अलग ही तरह की खुशी आ गयी...पर साथ ही साथ कुछ चिंता भी दिखाई देने लगी..
वो दौड़ती हुई सी उसके पास आई और धीरे से बोली : "जीजू....आप....मुझे तो लगा था की पापा आएँगे मुझे लेने...''
अजय कुछ बोलने ही वाला था की दूसरी तरफ से आती हुई अपनी सहेली सोनी को देखकर पूजा के चेहरे की चिंता एकदम से बड़ गयी और वो जल्दी से बोली : "अच्छा , छोड़ो वो सब, जीजू, वो देखो, मेरी फ्रेंड आ रही है...अरे वही जो मॉल में मिली थी एक बार..सोनी......और मैने ग़लती से आपको अपना बी एफ बोल दिया था...सो प्लीज़ जीजू....आज के लिए और मैनेज कर लेना...प्लीज़....मेरे अच्छे जीजू...''
इतना कहते -2 पूजा ने अजय के हाथ को पकड़ कर अपनी कमर पर रख लिया...ताकि दूर से आ रही उसकी सहेली सॉफ-2 देख सके की पूजा क्या कर रही है.
पूजा की नर्म कमर पर हाथ रखते ही अजय की आँखे बंद सी हो गयी...उसने उसके बिना हड्डी वाली मांसल कमर को पकड़कर ज़ोर से दबा दिया...अब इतना एडवांटेज लेना तो बनता ही था ... पूजा ने भी कोई विरोध नही किया.
वो उसे अपनी तरफ करते हुए फुसफुसाया : "तुम जो मुझसे अपने बाय्फ्रेंड बनने की एक्टिंग करवा रही हो,इसके बदले तुम्हे भी कुछ देना पड़ेगा...''
पूजा बेचारी परेशान सी हो गयी ये सुनकर,उसे पता था की अजय जैसे ठरकी के दिमाग़ में सिर्फ़ एक ही बात आ सकती है,सेक्स...और सेक्स करने के लिए उसने आज तक नही सोचा था...और वो भी अपने जीजू के साथ...कभी नही.सेक्स के बारे में सोचते हुए पूजा की खुली आँखों सामने फिल्म सी चल पड़ी, जिसमे उसके जीजू उसके ऊपर चढ़कर उसकी चूत मार रहे हैं, और वो जोर-२ से चीख रही थी

वो सीन सोचकर ही उसके चेहरे पर पसीना आ गया, उसके दिल की धड़कन बड़ गयी, वो अपने आप संभालते हुए बोली : "क्या जीजू....इतना कहना भी नही मान सकते अपनी साली का...क्यों बेकार में मुझे परेशान कर रहे हो...वैसे भी सेक्स करने के लिए तो आपके पास दीदी है ना...फिर क्यो इस तरह की हरकतें करते रहते हो...''
वो सेक्स करने की बात इतनी आसानी से बोल गयी की अजय का दिमाग़ भी चकरा गया..वो तो ऐसे ही पूजा को छेड़ने के लिए ये सब बोल रहा था,पूजा तो एकदम एक्सट्रीम में लेजाकर सोच रही थी उसकी बात को...
cntd........
आज सुबह की बातें याद करते-2 अजय गाड़ी चला रहा था...और इसलिए उसने इस बात पर भी ध्यान नही दिया की आज रिया कुछ ख़ास ही तरह से तैयार होकर आई है उसके लिए..अब उसका कोई बाय्फ्रेंड तो था नही,सिर्फ़ एक अजय ही था जो उसकी बात-बेबात तारीफ करता रहता था..और लड़कियो को यही बात सबसे ज़्यादा किसी की तरफ आकर्षित करती है की कोई तो है जो उनकी सुंदरता और कपड़ो की तारीफ करता है...ऐसे में उस इंसान के लिए कुछ ख़ास तरीके से तैयार होने में बुराई ही क्या है.
और जैसा रिया ने अपने जीजू के बारे में नोट किया था, वो अक्सर उसकी छातियों की तरफ ही देखते रहते थे (वैसे हर ठरकी की नज़र लड़की की छातियों पर ही रहती है) इसलिए उसने आज एक ऐसी कुर्ती पहनी हुई थी जिसके साथ उसने चुन्नी भी नही ली थी...वैसे भी उसकी छातियाँ काफ़ी छोटी थी...पर इतनी भी नही की उन्हे नरअंदाज किया जा सके...ख़ासकर अजय की नज़रों से...वो तो चुन्नी के नीचे की चीज़ों को भी नज़रों से चोद कर रख देता था...
अजय को अपनी ही मस्ती में कार चलाते हुए देखकर रिया ने ही बात शुरू की
रिया : "जीजू, क्या बात है, आज आप कुछ खोए-2 से लग रहे है...ध्यान कहाँ है आपका ..''
अजय : "मेरा...अरे ...कहीं तो नही....क्यो ....''
रिया : "जीजू....आपने तो मेरी तरफ देखा भी नही ...जब से कार में बैठी हू आपका ध्यान तो सिर्फ़ सड़क की तरफ है...और ना जाने क्या सोच-सोचकर मुस्कुराए जा रहे हो आप ....''
अजय को अपनी ग़लती का एहसास हुआ...वो समझ गया को रिया अपने आप को इग्नोर फील कर रही है...उसने तुरंत उसकी तरफ देखा...उसके चाँद से दमकते चेहरे को देखने के बाद जब उसकी नज़र फिसल कर उसकी छातियों की तरफ गयी तो उसे पता चला की वो कितना बड़ा उल्लू का पट्ठा है...ऐसे सीन को छोड़कर वो ख़यालो में अपनी सास के मुम्मों के बारे में सोच-सोचकर मुस्कुराए जा रहा था...और उपर से रिया की बातों से साफ़ जाहिर था की वो उसी के लिए बिना चुन्नी की कुरती पहन कर आई है...ताकि वो उसके बदन को अच्छी तरह से निहार सके.
अच्छी तरह से निहारना ही अजय का काम ही नही था...वो तो ऐसे बदन को आँखो से चोद कर ही मानता था...और वो अब यही कर रहा था...कार की स्पीड तो उसने धीरे कर दी पर अपनी आँखो से चोदन की प्रक्रिया तेज कर दी...अब मंद-2 मुस्कुराने की बारी रिया की थी...भले ही रिया का चेहरा सामने की तरफ था, पर बगल में बैठे जीजू की नज़रों को वो अपने जिस्म पर साफ़ महसूस कर रही थी...और उन आँखो की चुभन को महसूस करते हुए उसके निप्पल कब खड़े हो गये उसे भी पता नही चला...पर अजय को पता चल गया जब देखते ही देखते उसकी आँखो के सामने रिया की नन्ही सी ब्रेस्ट पर छोटे-2 दो बेर उग आए..
अजय : "उम्म्म....सेक्सी.....लग रही हो रिया...''
रिया की मुस्कुराहट हँसी मे बदल गयी.
''थॅंक्स जीजू...मुझे पता था की आपको ऐसी ड्रेस पसंद आएगी...''
अजय (अनजान बनते हुए) : "क्यो ?? ऐसा क्या ख़ास है इस ड्रेस में ..''
रिया बेचारी इतनी भोली थी की ये भी ना समझ पाई की उसके जीजू अब उससे मज़े ले रहे है
वो बोली : "क्या जीजू...आपने तो नोट ही नही किया...आज मैने चुन्नी नही पहनी हुई...देखो...''
और उसने अपना नन्हा सा सीना तान कर अपने जीजू के सामने परोस दिया..
अजय की गाड़ी ठूकते-2 बची...
अजय का मन तो कर रहा था की आगे हाथ करके वो उन्हे दबोच ले...मसल दे...निचोड़ दे उन नींबुओं को...पर वो जल्दबाज़ी नही करना चाहता था.
अजय : "ओहो....ये तो मैने देखा ही नही....वाव् ...सच में ...कमाल के लग रहे है ये दोनो...''
''ये दोनो'' सुनकर पल भर के लिए तो रिया के चेहरे की रंगत ही बदल गयी....उसकी आँखो मे शर्म के लाल डोरे तेर गये...एक पल के लिए तो वो समझ ही नही पाई की उसके जीजू किन दोनों की बात कर रहे है....क्या उन्होने उसके दोनो बूब्स के बारे में ऐसा बोला है....पर ऐसा तो वो बोल ही नही सकते....
फिर भी अपनी शंका का समाधान करने के लिए उसने सकुचाते हुए पूछ ही लिया : "किन दोनो की बात कर रहे हो आप जीजू...''
अजय : "इन दोनों की...और किसकी...''
अजय ने बिना उसकी तरफ देखे हुए कहा...वो अंदर ही अंदर अपनी हँसी को दबाने की कोशिश कर रहा था, इसलिए रिया की आँखों में देखे बिना उसने ये बोल दिया...वो जानता था की जो वो बोल रहा है वो उसकी सीमा से आगे है...पर अब खेल को अगले चरण में ले जाने का वक़्त आ चुका था.
रिया : "क्या जीजू....सॉफ-2 बोलो ना...कौन दोनो...''
शायद वो अब खुद ही सुनना चाहती थी की उसके जीजू उसके बूब्स के बारे में बोल रहे है
अजय : "अरे भाई...ये दोनो....तुम्हारे बूब्स...चुननु मुननू...''
रिया : "चुननु मुननू ??"
अजय : "हाँ , चुननु मुननू...मैं तो प्राची के बूब्स को भी इसी नाम से बुलाता हूँ ...दे आर माय सॉफ्ट टाय्स...चुननु मुननू...''
रिया तो शर्म से गड़ी जा रही थी....उसके जीजू कितनी आसानी से उसके बूब्स के बारे में बात कर रहे थे...और तो और उन्हे उसी नाम से बुला रहे थे जिस नाम से वो उसकी प्राची दीदी के बूब्स को बुलाते हैं....ये लास्ट वाली बात सोच-सोचकर उसके दिल की धड़कने और ज़ोर से बड़ गयी...
वो कुछ और बोल नही पाई क्योंकि तब तक उसका इन्स्टिट्यूट आ गया...और वो उतर गयी..
उसके बाद अजय अपने ऑफीस चला गया.
दोनो के मन में ये सुबह वाली बात पूरे दिन घूमती रही.
शाम को अजय जब घर के लिए वापिस जाने . तो उसका फोन बज उठा..उसने देखा तो उसकी सास का नंबर था...उसने मुस्कुराते हुए फोन उठा लिया और बोला : "बोलो जानेमन...क्या हाल है आपका...''
और दूसरी तरफ से जो आवाज़ आई उसे सुनकर उसके होश उड़ गये...वो फोन प्राची ने किया था..
''जानेमन ???? ये क्या है अजय....ये तो मैने मम्मी के फोन से कॉल की है...और तुमने सीधा जानेमन बोल दिया...''
अजय की तो सिट्टी पिटी गुम हो गयी...उसने डरते-2 कहा : "वो बस अंदाज़ा लगाया था मैने...''
वो जानता था की ये बहाना प्र्याप्त नही है...वो कुछ और सोचने लगा पर तब तक प्राची के हँसने की आवाज़ आने लगी...
अजय ने डरते-2 पूछा : "क्या हुआ...तुम हंस क्यो रही हो...??''
प्राची : "ओह अजय....मैं तो ये सोचकर हंस रही थी की अगर सच में माँ ने फोन किया होता और उन्हे तुम्हारा ये जानेमन सुनने को मिल जाता तो उन्हे तो हार्ट अटैक ही पड़ जाता....हा हा हा...''
और वो फिर से बिना ब्रेक के हँसने लगी..
अजय ने उपर वाले का शुक्र मनाया की उसे कुछ शक नही हुआ.
वो बोला : "ओहो...पर मुझे तो पता ही था...क्योंकि मॉम तो सुबह से घर पर ही है ना तुम्हारे पास....उन्होने आज तक तो मुझे कॉल किया नही...आज पहली बार कॉल आया है,इसलिए अंदाज़ा लगा लिया था की तुम ही कॉल कर रही हो...चलो अब बताओ...तबीयत कैसी है...''
और अजय ने उसे इधर-उधर की बातों मे लगाकर ''जानेमन'' वाली बात को भुला सा दिया.
कुछ देर बाद प्राची बोली : "अच्छा सुनो, एक काम करना होगा तुम्हे आज, इसलिए ही कॉल की है..तुम ऑफीस से वापिस आते हुए पूजा को लेते हुए आ जाना...आज उसके कॉलेज में एक फंक्शन था, जिसकी वजह से वो लेट हो जाएगी...पापा की तबीयत ठीक नही है, इसलिए माँ ने मुझे कहा की तुम्हे कॉल करके बोल दे..''
अजय के मन में तो पूजा के कॉलेज जाने की बात सुनकर ही जल तरंग बजने लगी..वैसे भी अपनी सास और रिया के चक्कर में वो अपने ससुराल के सबसे सेक्सी मॉल को भूल ही चूका था
वो बोला : "अरे,इसमें क्या प्राब्लम है...मैं अभी चला जाता हू...''
अजय ने टाइम देखा, 6 बजने वाले थे.
प्राची : "अरे, अभी नही, वो 9 बजे तक फ्री होगी...और उसका कॉलेज तो तुम्हारे ऑफीस से भी आगे है, अभी तो 3 घंटे पड़े है...तुम ऑफीस में ही रहो या अपने किसी दोस्त के साथ घूम लो...उसके बाद चले जाना...''
अजय ने हाँ बोलकर फोन रख दिया.
उसने तुरंत अपने ऑफीस के दोस्त को बोला, और दोनो ने बियर पीने का प्रोग्राम बना लिया, 3 घंटे बीतने का इससे अच्छा आइडिया नही आया अजय के दिमाग़ में ..
3 घंटे में 3 बियर पीने के बाद अजय ने अपने दोस्त को अलविदा किया और वो पूजा के कॉलेज की तरफ चल दिया.
और वहां के नज़ारे देखकर उसके दिल की घंटियाँ ज़ोर-2 से बजने लगी...
हर तरफ ताज़ा माल बिखरा पड़ा था...एक से एक सुंदर लड़कियाँ रंग बिरंगी ड्रेस में घूम रही थी...कॉलेज के लॉन में कोई कलचर प्रोग्राम था, जो अभी-2 ख़त्म हुआ था...
ज़्यादातर लड़कियो के पेरेंट्स या फिर उनके बॉय फ्रेंड्स उन्हे लेने के लिए आए हुए थे..
अजय की नज़रें तो अपनी साली को ढूँढ रही थी...जो उसे जल्द ही दिखाई दे गयी..
अपनी सहेलियों के साथ आती हुई..
जिसे देखकर अजय के लंड ने अकड़ना शुरू कर दिया..बड़ी ही सेक्सी लग रही थी वो.
वो मन ही मन ख्याली पुलाव बनाने लगा...
पर वो भी नही जानता था की आज की रात उसकी किस्मत में क्या लिखा है.
एक तो ठंडी बियर का हल्का-2 सरूर और उपर से जवान चूतों की खुश्बू जो अजय को अपने रोम-2 में महसूस हो रही थी...ऐसा लग रहा था की हर लड़की उसके लंड की प्यासी है वहाँ...एक तो देखने में वो काफ़ी हॅंडसम था,उपर से वो शादी शुदा भी नही लगता था...इसलिए हर लड़की उसे उपर से नीचे तक ऐसे देख रही थी जैसे किसी लड़को के कॉलेज में कोई जवान लड़की पहुँच जाए तो उसे देखते है..
सभी पेरेंट्स धीरे-2 अपने बच्चों को लेकर निकल रहे थे.पूजा ने जब अपने जीजू को देखा तो उसके चेहरे पर एक अलग ही तरह की खुशी आ गयी...पर साथ ही साथ कुछ चिंता भी दिखाई देने लगी..
वो दौड़ती हुई सी उसके पास आई और धीरे से बोली : "जीजू....आप....मुझे तो लगा था की पापा आएँगे मुझे लेने...''
अजय कुछ बोलने ही वाला था की दूसरी तरफ से आती हुई अपनी सहेली सोनी को देखकर पूजा के चेहरे की चिंता एकदम से बड़ गयी और वो जल्दी से बोली : "अच्छा , छोड़ो वो सब, जीजू, वो देखो, मेरी फ्रेंड आ रही है...अरे वही जो मॉल में मिली थी एक बार..सोनी......और मैने ग़लती से आपको अपना बी एफ बोल दिया था...सो प्लीज़ जीजू....आज के लिए और मैनेज कर लेना...प्लीज़....मेरे अच्छे जीजू...''
इतना कहते -2 पूजा ने अजय के हाथ को पकड़ कर अपनी कमर पर रख लिया...ताकि दूर से आ रही उसकी सहेली सॉफ-2 देख सके की पूजा क्या कर रही है.
पूजा की नर्म कमर पर हाथ रखते ही अजय की आँखे बंद सी हो गयी...उसने उसके बिना हड्डी वाली मांसल कमर को पकड़कर ज़ोर से दबा दिया...अब इतना एडवांटेज लेना तो बनता ही था ... पूजा ने भी कोई विरोध नही किया.
वो उसे अपनी तरफ करते हुए फुसफुसाया : "तुम जो मुझसे अपने बाय्फ्रेंड बनने की एक्टिंग करवा रही हो,इसके बदले तुम्हे भी कुछ देना पड़ेगा...''
पूजा बेचारी परेशान सी हो गयी ये सुनकर,उसे पता था की अजय जैसे ठरकी के दिमाग़ में सिर्फ़ एक ही बात आ सकती है,सेक्स...और सेक्स करने के लिए उसने आज तक नही सोचा था...और वो भी अपने जीजू के साथ...कभी नही.सेक्स के बारे में सोचते हुए पूजा की खुली आँखों सामने फिल्म सी चल पड़ी, जिसमे उसके जीजू उसके ऊपर चढ़कर उसकी चूत मार रहे हैं, और वो जोर-२ से चीख रही थी
वो सीन सोचकर ही उसके चेहरे पर पसीना आ गया, उसके दिल की धड़कन बड़ गयी, वो अपने आप संभालते हुए बोली : "क्या जीजू....इतना कहना भी नही मान सकते अपनी साली का...क्यों बेकार में मुझे परेशान कर रहे हो...वैसे भी सेक्स करने के लिए तो आपके पास दीदी है ना...फिर क्यो इस तरह की हरकतें करते रहते हो...''
वो सेक्स करने की बात इतनी आसानी से बोल गयी की अजय का दिमाग़ भी चकरा गया..वो तो ऐसे ही पूजा को छेड़ने के लिए ये सब बोल रहा था,पूजा तो एकदम एक्सट्रीम में लेजाकर सोच रही थी उसकी बात को...
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