अगले दिन ऑफीस जाते हुए अचानक प्राची को कुछ घबराहट सी होने लगी और उसने गाड़ी साइड मे रुकवाकर उल्टी कर दी...अब ये तो ऐसा संकेत होता है जिसे आजकल बच्चा -2 पहचानता है...पर अजय का दिमाग़ काम नही किया उस वक़्त...और वो प्राची को जल्दी से एक नर्सिंग होम में ले गया..वहां डॉक्टर ने जब जाँच की तो पता चला की वो प्रेगनेन्ट है..
अजय के लिए ये खुशी का मौका था...जिंदगी मे पहली बार बाप बनने की खुशी अलग ही होती है...उसने तुरंत अपनी सास को फोन किया और उन्हे वहीँ बुलवा लिया.
प्राची को अभी भी घबराहट हो रही थी..इसलिए 2-3 घंटे उसको वहीँ रखने के बाद वो वापिस घर आ गये..
अब तो प्राची को किसी राजकुमारी जैसा ट्रीटमेंट दिया जा रहा था..अजय ने ऑफीस से छुट्टी कर ली और प्राची के ऑफीस में भी मेसेज दे दिया की वो 1 हफ्ते बाद ही आएगी.
उसकी सास भी अपने घर का सारा काम छोड़कर प्राची के साथ ही रही पूरा दिन.
शाम को पूजा और रिया भी आ गये और सभी वो खबर सुनकर काफ़ी खुश हुए..सबने मिलकर खाना खाया और उसके बाद रिया और पूजा वापिस चले गये...पर उसकी सास रजनी को प्राची ने अपने पास ही रोक लिया...
अब अजय की सास तो अपनी बेटी के साथ सोने की तैयारी कर रही थी,इसलिए वो अपना लॅपटॉप लेकर दूसरे रूम में आ गया..और उसे खोलकर अपनी मेल्स चेक करने लगा..फिर फेसबुक देखा..और अंत में वो पॉर्न साइट्स पर जा पहुँचा..
वैसे तो रोज ही उसका मन करता था अपनी बीबी की मारने का , पर आज कुछ ज़्यादा ही अकड़ रहा था उसका छोटा सिपाही ....
इसलिए चुदाई का पहला सीन आते ही उसने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और रगड़ने लगा बुरी तरह से.... तभी बाहर से किसी के क़दमों की आहट सुनाई दी और उसने तुरंत अपना लैपटॉप अपने लंड के उपर रखकर उसे ढक लिया.
और आशा के अनुरूप उसकी सास ही थी वो..सुबह से उनके साथ ही थी,अपने घर तो गयी नही थी...इसलिए उसने इस वक़्त प्राची का ही नाइट सूट पहना हुआ था. साटन का पायज़ामा और शर्ट थी..भले ही उसकी सास थोड़ी मोटी थी पर वो कपड़े पहन ही लिए थे किसी तरह से. और जगह-2 से उफान मार रहे शरीर को देखकर अजय का लॅपटॉप उपर नीचे होने लगा.
एक तो पहले से ही उसका खड़ा हुआ लंड गर्म था, उपर से लॅपटॉप की हीट उसके लंड की चमड़ी को सुलगा रही थी..
रजनी : "अजय...तुम सोए नही अभी तक...सुबह से आराम नही किया तुमने..कल ऑफीस भी तो जाना है ना..''
अजय : "नही..अभी मैं 2-3 दिन ऑफीस की छुट्टी लूँगा...प्राची को गायनॉलोजीस्ट को दिखाना है कल...आगे के लिए सारी दवाइयाँ और प्रीकोरशन भी पता करने है..''
रजनी (मुस्कुराते हुए) : "अरे ,इसमे घबराने वाली कोई बात नही है...हमारे टाइम में तो सब कुछ घर में ही कर लिया करते थे...ये 8-9 महीने की दवाइयाँ, कॅल्षियम वगेरह तो अब शुरू हुए हैं...और रही बात परहेज की तो वो सिर्फ़ एक ही होता है..''
अजय : "क्या ??''
रजनी : "जितना हो सके, रात को अपनी बीबी से दूर रहना...समझे...''
अजय को उसकी बात का मतलब समझते देर नही लगी...वो समझ गया की यही मौका है अपनी सास से मज़े लेने का.
अजय : "प्राची से दूर रहने की तो मैं सोच भी नही सकता...''
रजनी : "पता है मुझे....शादी के शुरुवाती दिनों में हर कोई ऐसा ही होता है...पर तुम शायद कुछ ज़्यादा ही हो...''
ये सुनकर लेपटोप एक बार फिर से थोड़ा उपर उठ गया..और इस बार रजनी समझ गयी की उसके गुरुत्वाकर्षण को कौन भंग कर रहा है...वो भी आज अपने दामाद से मज़े लेने के मूड में थी...इसलिए उपर से ही सही,वो उसके खड़े हुए लंड को देखना चाहती थी..जो उसके हिसाब से इस वक़्त खड़ा हुआ था...लेपटोप के नीचे.
वो एकदम से आगे आई और बोली : "पर जो भी है, तुम्हे अभी तो आराम की ज़रूरत है...चलो बंद करो ये ...''
और इतना कहते-2 उसने एक पल के अंदर ही अजय के लेपटोप को अपने हाथों में उठा लिया..
एक साथ दो झटके लगे रजनी को...पहला झटका तो अजय के नंगे लंड को देखकर लगा, जबकि उसने सोचा हुआ था की वो पायज़ामे के अंदर खड़ा हुआ है,पर वो तो पायज़ामे को नीचे खिसका कर नंगा लंड लिए बैठा था...
और दूसरा झटका लगा उसे लॅपटॉप की स्क्रीन देखकर, जिसमे एक लड़का अपनी गर्लफ्रेंड को घोड़ी बना कर चोद रहा था और वो भी अपनी गांड मटका-2 कर पीछे से मिल रहे धक्को का मज़ा ले रही थी.
अजय भी अपनी सास की तेज़ी देखकर दंग रह गया...उसे तो कुछ सोचने - समझने का मौका ही नही मिला...बस अपने हाथों से लंड को ढककर वो इधर-2 देखने लगा...और फिर धीरे से उसने अपना पयज़ामा उपर कर लिया.
रजनी के तो पूरे शरीर में पसीने निकल आए....अब शायद वो सोच रही थी की उसने ऐसा किया ही क्यो...चाहे जो भी हो, है तो वो उसका दामाद ही ना...पर उसके जवान और लंबे लंड को देखकर ये क्या हो रहा है उसको...पसीना-2 क्यो हुआ जा रहा है उसका शरीर...और ..और ये पसीना चूत से क्यो निकल रहा है...चूत से पसीना...वहां से तो सिर्फ़ रसीला रस निकलता है...तो इसका मतलब....वो गर्म हो रही है...अपने ही दामाद के लंड को देखकर...उफफफफ्फ़.....ये क्या हो रहा है उसको...अपनी ही बेटी के सुहाग पर डाका...
पर ऐसा काम तो वो पहले भी कर चुकी थी...अपनी बहन के साथ...उसके पति से अपनी चूत और गांड मरवाकर... अपने जीजा से उसने जितने मज़े लिए थे, शायद ही अपने किसी और आशिक़ से लिए होंगे, पति के अलावा...
पर अजय जैसा जवान उनमे से कोई भी नही था...और ऐसे जवान लोंडो के कड़क लंड की प्यास तो उस जैसी गर्म औरत की चूत को हमेशा से रहती है..
भले ही वो पहले मज़ाक में अपने दामाद के बारे में ग़लत सोच रही थी..पर अब उसके लंड को देखने के बाद वो मज़ाक अब मज़ाक नही रह गया था...
अजय भी कुछ देर तक इधर-उधर देखने के बाद खिसियानी सी हँसी हंसता हुआ अपनी सास को देखने लगा.
उसके उभरे हुए निपल देखकर वो ये तो समझ ही चुका था की उसने अंदर ब्रा भी नही पहनी है..और चेहरे पर उड़ रही हवाइयां देखकर ये भी समझ गया की अंजाने में ही सही उसने अपनी सास को उत्तेजित कर दिया है.
ये वही बिस्तर था जिसपर उसकी सास ने अपने जीजू से गांड मरवाई थी...
रजनी : "तुम्हे देखकर तो लगता है की एक दिन काटना भी मुश्किल होगा तुम्हारा प्राची के बिना...अभी तो आगे चलकर बहुत बर्दाश्त करना पड़ेगा...''
उसकी बातों में एक उल्हास सा था..
और अजय ये बात अच्छी तरह से जानता था की उस जैसे ठरकी को जिस दिन मारने के लिए अपनी बीबी की चूत नही मिलेगी तो उसका क्या हाल होगा...देखा जाए तो उसके चारों तरफ ढेर सा लगा हुआ था..पर अभी तक कहीं भी शुरूवात तो नही हुई थी ना...और ऐसे एकदम से किसी को भी चूत देने के लिए बोलेगा तो वो तैयार भी नही होगी...उसके ठरकी दिमाग़ ने तो काम ही करना बंद कर दिया इस विचार के आते ही..
और फिर अचानक उसने कुछ डिसाइड सा किया अपने मन में और अपनी सास से बोला : "अब मैं रोज तो ऐसे काम चलाने वाला नही हू...आपको ही मेरी मदद करनी होगी.''
अजय ने बड़ी ही बेबाकी से बड़े ही सपष्ट शब्दों में अपनी सास को ये बात बोल दी, जिसे सुनकर रजनी को भी अपने कानों पर विश्वास नही हुआ...भले ही अंदर ही अंदर वो भी अजय की तरफ आकर्षित हो चुकी थी, पर उसके दिल में एक द्वंद भी चल रहा था की वो अपनी बेटी के सुहाग पर डाका डाले या नही...जीजू के साथ करने में और दामाद के साथ ऐसे संबंध बनाने में काफ़ी फ़र्क होता है..
और ऐसे में अजय सामने से खुद उसके साथ ऐसी बाते कर रहा था जिसे अगर वो सीधी तरह से मान लेती है तो उसकी क्या इज़्ज़त रह जाएगी अपने दामाद के सामने..
ये सोचते ही वो एक झटके से उठ खड़ी हुई और बोली : "ये क्या बोल रहे हो अजय...मज़ाक अपनी जगह है..ऐसी बातें तुम्हे शोभा नही देती...समझे..सो जाओ अब..''
और इतना कहकर वो मूडी और बाहर जाने लगी...ऐसा करके वो अजय को अपना गुस्सा दिखा रही थी और उसे ये जता रही थी की उसे अजय की बात बिल्कुल भी अच्छी नही लगी..
पर तभी अजय ने कुछ ऐसा बोला की वो जाते-2 एकदम से रुक सी गयी..
''नही जीजू....पिच्छू से नही....पिच्छू से नही...''
ये शब्द सुनते ही रजनी के माथे पर पसीना आ गया...उसके चेहरे की रंगत उड़ सी गयी...ये तो उसने अपने जीजू को बोला था, इसी कमरे में ..जब उन्होने उसकी गांड मारने की ज़िद की थी...पर ये बात अजय को कैसे पता चली...क्या उसने इस कमरे में कोई कैमरा छुपाया हुआ है...या फिर शायद उस रात वो छुपकर उनकी चुदाई देख रहा था...
और ये ख़याल आते ही उसका शरीर काँप उठा...और वो थरथराती हुई सी पलटी और अजय से बोली : "ये ...ये क्या बोल रहे हो...अजय....तुम...''
उसके चेहरे की घबराहट देखकर अजय समझ गया की उसका तीर एकदम निशाने पर लगा है..
वो बोला : "अब आप इतनी भी नादान नही है सासू माँ की ये भी ना समझे की मैं क्या बोल रहा हू...ये वही लाइन है ना जो आपने अपने प्यारे जीजू यानी मुंबई वाले मौसा जी से कही थी...इसी कमरे में ...इसी बिस्तर पर....जब वो और आप बिल्कुल नंगे''
वो इतना ही बोल पाया था की रजनी एकदम से आगे आई और उसके मुँह पर हाथ रखकर उसे चुप करा दिया....
रजनी : "मत बोलो प्लीज़.....चुप रहो ....प्राची ने सुन लिया तो बहुत बुरा होगा...''
अपनी सेक्सी सास को एकदम से अपने इतने करीब पाकर अजय का ईमान डोल गया...और उपर से उनकी नर्म उंगलियों को अपने दहक रहे होंठों पर महसूस करते ही उसका धैर्य भी जवाब दे गया और उसने अपना मुँह खोलकर उनकी नर्म उंगलियों को निगल लिया और चाट लिया.
रजनी ने एकदम से अपना हाथ खींचा और बोली : "अजय...होश में आओ...ये क्या बदतमीज़ी है....''
और इतना कहकर वो जैसे ही पीछे जाने लगी, अजय ने उनकी कमर मे हाथ डालकर उन्हे जकड़ लिया और बोला : ''ये बदतमीज़ी नही,प्यार है...जो अब आप मुझे देगी...जैसा आपने अपनी जीजू को दिया था...अब मुझे दो..''
अजय की ऐसी डिमांड सुनकर अंदर ही अंदर रजनी का शरीर जल सा उठा...अपनी मर्ज़ी से भले ही उसने आज तक कई जिस्मानी संबंध कायम किए थे, पर ऐसे ज़बरदस्ती किसी ने नही की थी उसके साथ...वो कसमसाने सी लगी..पर अजय की पकड़ से छूट ही नही पाई वो..
रजनी भी समझ गयी की वो बुरी तरह से फँस चुकी है..पर अपनी तरफ से अभी भी वो अजय का पूरा विरोध कर रही थी...
अजय ने उसे अपनी तरफ खींचना शुरू किया और उसके चेहरे को बिल्कुल अपने करीब ले आया...और जैसे ही वो और ज़ोर लगाकर उनके नर्म होंठों को चूमने की कोशिश करने लगा, बाहर से प्राची की आवाज़ आई : "मम्मी....मम्मी कहाँ हो आप....''
ये साली प्राची की नींद भी अभी खुलनी थी...अजय झल्ला सा गया ..और उसने ना चाहते हुए भी अपनी सास को छोड़ दिया.
और उसके छोड़ते ही प्राची अंदर आ गयी...और सास-दामाद को ऐसे एक दूसरे के सामने खड़ा देखकर बोली : "मम्मी...आप यहाँ है...मैं कब से आवाज़ें लगा रही थी...''
उसकी आँखो मे कुछ प्रश्न भी थे, जैसे पूछना चाहती हो की आप दोनो इतनी रात को ऐसे खड़े हुए क्या कर रहे है..
रजनी : "अरे..मैं बस अभी आई थी....अजय काफ़ी देर से जाग रहा था...अपना लेपटोप खोलकर काम कर रहा था...मैने यही बोला की अब सो जाए...सुबह से परेशन सा है बेचारा...''
तब तक अजय ने लेपटोप उठा कर बंद कर दिया था, वरना प्राची भी देख लेती की वो क्या ज़रूरी काम कर रहा था.
प्राची : "ओहो...मम्मी, ये तो इनकी आदत है...'' और फिर वो अजय की तरफ देखकर बोली : "चलो अजय...अब सो जाओ...काफ़ी रात हो चुकी है...''
और इतना कहकर दोनो माँ बेटियाँ उस कमरे से बाहर निकल गयी और बेडरूम में जाकर सो गयी..
पर अजय भी बड़ा हरामी था...उसका लंड अभी तक रोड की तरह अकड़ा हुआ खड़ा था...उसने भी अपने ठरकीपन की कसम खाई की आज जो भी हो जाए वो अपनी सास के साथ मज़े लेकर ही रहेगा.
बस फिर क्या था, वो इंतजार करने लगा...एक बार फिर से प्राची के सो जाने का..
उन दोनो के जाने के काफ़ी देर तक तो अजय अपने कमरे में टहलता रहा...बार -2 उसकी नज़र घड़ी पर जा रही थी...साढ़े ग्यारह बज चुके थे..उसका दिमाग़ इस वक़्त चाचा चौधरी से भी तेज चल रहा था..एक के बाद एक तरकीब उसके दिमाग़ में आती जा रही थी...और वो उन सभी को साकार करने के सपने देखता हुआ अपने लंड को रगड़ता हुआ घूम रहा था रूम में । पर इन सबके बीच सबसे बड़ी प्राब्लम उसकी बीबी भी थी...जो उसी रूम में सो रही थी..और वैसे भी उसकी सास ने भी अपनी तरफ से कोई पहल नही की थी..वरना उसकी चूत के बाल पकड़कर वो उसे वापिस अपने कमरे में घसीट लाता और चोद देता उस हुस्न से लदी औरत को..
आख़िरकार करीब 12:30 के आस पास उसने अपना इरादा पक्का कर ही लिया और धीरे से वो अपने कमरे से बाहर निकला..पूरे घर में सन्नाटा छाया हुआ था..अजय उनके कमरे में पहुँचा तो उसकी बीबी के खर्राटों की आवाज़ उसे सुनाई दे गयी...प्राची के ऐसे खर्राटे सॉफ दर्शाते है की वो कितनी गहरी नींद में है..इसलिए उसकी तरफ से बेख़बर होकर वो अंदर घुस गया...पर उसकी बदक़िस्मती तो देखो, कमरे में दाखिल होते ही साइड टेबल से उसका पैर टकराया और उसपर रखा स्टील का ग्लास नीचे गिर गया..
पूरे कमरे का सन्नाटा भंग हो गया...प्राची के खर्राटे भी एकदम से बंद हो गये..और अजय को उस वक़्त कुछ नही सूझा तो वो कुत्ते की तरह अपने हाथ और पैर पर बैठ गया..बेड की आड़ लेकर..पर शुक्र था की उन दोनो में से कोई भी उठा नही..अजय की तो फट कर हाथ में आ गयी थी..एक पल के लिए तो उसने सोचा की वापिस चला जाए पर अगले ही पल उसके दिमाग़ में आया की जब इतनी तेज आवाज़ से उन दोनो की नींद नही खुली तो कुछ करने के बाद कैसे खुलेगी..इसलिए वो डॉगी स्टाइल में चलता हुआ धीरे-2 बेड के दूसरी तरफ पहुँच गया..जहाँ उसकी सास रजनी सो रही थी.
वहां पहुँचकर उसने अपना मुँह उपर करते हुए उन दोनो के चेहरे को देखा, हल्की रोशनी में सही से तो दिखा नही पर दोनो की आँखे बंद ही थी..उसने तो ख़ासकर अपनी बीबी के चेहरे को घूरकर देखा क्योंकि वो सुनिश्चित कर लेना चाहता था की वो सो रही है...और फिर अपनी सास के चेहरे को देखा..सोते हुए वो बड़ी मासूम सी लग रही थी...चादर नीचे गिर चुकी थी, इसलिए उसकी उठी हुई चुचियों को देखकर उसके मुँह में पानी आ गया..और उसने हिम्मत करते हुए अपना हाथ आगे किया और धीरे से उनपर रख दिया.
उनकी तरफ से कोई हरकत नही हुई तो उसने अपने हाथ का शिकंजा बड़ा दिया और अपनी उंगलियाँ अपनी सास की मक्खन जैसी चुचियों के अंदर घुसा दी...
उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़......क्या फीलिंग थी...इतनी मुलायम....इतनी मजेदार....ऐसा लग रहा था जैसे बड़े से पानी भरे गुब्बारे को दबा रहा हो वो..
अचानक उसकी हथेली में उसे अपनी सास का निप्पल चुभने लगा...जो धीरे-2 खड़ा हो चुका था...अजय ने एकदम से रजनी के चेहरे की तरफ देखा..पर वो तो गहरी नींद में सो रही थी...यानी नींद में वो उत्तेजित हो रही थी..भले ही वो नींद में थी पर अजय के स्पर्श से उसका शरीर जवाब दे रहा था..
अजय के चेहरे पर शरारती मुस्कान तैर गयी, अब उसकी हिम्मत भी बढ़ चुकी थी...उसने धीरे से अपनी सास के नाइट सूट की शर्ट का बटन खोल दिया..एक के बाद दूसरा खोलते ही उसका आधे से ज़्यादा मुम्मा नज़र आ गया उसे...अब वो धीरे से उपर उठा और अपनी तेज सांसो को संभालते हुए अपने चेहरे को उन पहाड़ियों के करीब ले गया और झोंक दिया अपने पूरे चेहरे को उनपर...और उन मुम्मों के नरमपन को महसूस करते ही उसके हाथ हरकत में आ गये और उसने तेज़ी से दो और बटन खोल डाले..
और ऐसा करते ही उन तरबूजों को संभाल कर रखने वाला बाँध टूट गया और दोनो बिफर कर आज़ाद हो गये..अजय ने दोनो को हाथों में पकड़ा और अपना मुँह खोलकर उन दोनो निप्पल्स को एक-2 करके चाटने लगा...पहले लेफ्ट वाले को और फिर राइट वाले को...
और दूसरे को मुँह में लेते ही ना जाने उसके अंदर कौन सा जानवर जाग गया उसने जोरों से चूस्कर उसपर अपने दाँत से काट लिया..
cntd.........
अजय के लिए ये खुशी का मौका था...जिंदगी मे पहली बार बाप बनने की खुशी अलग ही होती है...उसने तुरंत अपनी सास को फोन किया और उन्हे वहीँ बुलवा लिया.
प्राची को अभी भी घबराहट हो रही थी..इसलिए 2-3 घंटे उसको वहीँ रखने के बाद वो वापिस घर आ गये..
अब तो प्राची को किसी राजकुमारी जैसा ट्रीटमेंट दिया जा रहा था..अजय ने ऑफीस से छुट्टी कर ली और प्राची के ऑफीस में भी मेसेज दे दिया की वो 1 हफ्ते बाद ही आएगी.
उसकी सास भी अपने घर का सारा काम छोड़कर प्राची के साथ ही रही पूरा दिन.
शाम को पूजा और रिया भी आ गये और सभी वो खबर सुनकर काफ़ी खुश हुए..सबने मिलकर खाना खाया और उसके बाद रिया और पूजा वापिस चले गये...पर उसकी सास रजनी को प्राची ने अपने पास ही रोक लिया...
अब अजय की सास तो अपनी बेटी के साथ सोने की तैयारी कर रही थी,इसलिए वो अपना लॅपटॉप लेकर दूसरे रूम में आ गया..और उसे खोलकर अपनी मेल्स चेक करने लगा..फिर फेसबुक देखा..और अंत में वो पॉर्न साइट्स पर जा पहुँचा..
वैसे तो रोज ही उसका मन करता था अपनी बीबी की मारने का , पर आज कुछ ज़्यादा ही अकड़ रहा था उसका छोटा सिपाही ....
इसलिए चुदाई का पहला सीन आते ही उसने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और रगड़ने लगा बुरी तरह से.... तभी बाहर से किसी के क़दमों की आहट सुनाई दी और उसने तुरंत अपना लैपटॉप अपने लंड के उपर रखकर उसे ढक लिया.
और आशा के अनुरूप उसकी सास ही थी वो..सुबह से उनके साथ ही थी,अपने घर तो गयी नही थी...इसलिए उसने इस वक़्त प्राची का ही नाइट सूट पहना हुआ था. साटन का पायज़ामा और शर्ट थी..भले ही उसकी सास थोड़ी मोटी थी पर वो कपड़े पहन ही लिए थे किसी तरह से. और जगह-2 से उफान मार रहे शरीर को देखकर अजय का लॅपटॉप उपर नीचे होने लगा.
एक तो पहले से ही उसका खड़ा हुआ लंड गर्म था, उपर से लॅपटॉप की हीट उसके लंड की चमड़ी को सुलगा रही थी..
रजनी : "अजय...तुम सोए नही अभी तक...सुबह से आराम नही किया तुमने..कल ऑफीस भी तो जाना है ना..''
अजय : "नही..अभी मैं 2-3 दिन ऑफीस की छुट्टी लूँगा...प्राची को गायनॉलोजीस्ट को दिखाना है कल...आगे के लिए सारी दवाइयाँ और प्रीकोरशन भी पता करने है..''
रजनी (मुस्कुराते हुए) : "अरे ,इसमे घबराने वाली कोई बात नही है...हमारे टाइम में तो सब कुछ घर में ही कर लिया करते थे...ये 8-9 महीने की दवाइयाँ, कॅल्षियम वगेरह तो अब शुरू हुए हैं...और रही बात परहेज की तो वो सिर्फ़ एक ही होता है..''
अजय : "क्या ??''
रजनी : "जितना हो सके, रात को अपनी बीबी से दूर रहना...समझे...''
अजय को उसकी बात का मतलब समझते देर नही लगी...वो समझ गया की यही मौका है अपनी सास से मज़े लेने का.
अजय : "प्राची से दूर रहने की तो मैं सोच भी नही सकता...''
रजनी : "पता है मुझे....शादी के शुरुवाती दिनों में हर कोई ऐसा ही होता है...पर तुम शायद कुछ ज़्यादा ही हो...''
ये सुनकर लेपटोप एक बार फिर से थोड़ा उपर उठ गया..और इस बार रजनी समझ गयी की उसके गुरुत्वाकर्षण को कौन भंग कर रहा है...वो भी आज अपने दामाद से मज़े लेने के मूड में थी...इसलिए उपर से ही सही,वो उसके खड़े हुए लंड को देखना चाहती थी..जो उसके हिसाब से इस वक़्त खड़ा हुआ था...लेपटोप के नीचे.
वो एकदम से आगे आई और बोली : "पर जो भी है, तुम्हे अभी तो आराम की ज़रूरत है...चलो बंद करो ये ...''
और इतना कहते-2 उसने एक पल के अंदर ही अजय के लेपटोप को अपने हाथों में उठा लिया..
एक साथ दो झटके लगे रजनी को...पहला झटका तो अजय के नंगे लंड को देखकर लगा, जबकि उसने सोचा हुआ था की वो पायज़ामे के अंदर खड़ा हुआ है,पर वो तो पायज़ामे को नीचे खिसका कर नंगा लंड लिए बैठा था...
और दूसरा झटका लगा उसे लॅपटॉप की स्क्रीन देखकर, जिसमे एक लड़का अपनी गर्लफ्रेंड को घोड़ी बना कर चोद रहा था और वो भी अपनी गांड मटका-2 कर पीछे से मिल रहे धक्को का मज़ा ले रही थी.
अजय भी अपनी सास की तेज़ी देखकर दंग रह गया...उसे तो कुछ सोचने - समझने का मौका ही नही मिला...बस अपने हाथों से लंड को ढककर वो इधर-2 देखने लगा...और फिर धीरे से उसने अपना पयज़ामा उपर कर लिया.
रजनी के तो पूरे शरीर में पसीने निकल आए....अब शायद वो सोच रही थी की उसने ऐसा किया ही क्यो...चाहे जो भी हो, है तो वो उसका दामाद ही ना...पर उसके जवान और लंबे लंड को देखकर ये क्या हो रहा है उसको...पसीना-2 क्यो हुआ जा रहा है उसका शरीर...और ..और ये पसीना चूत से क्यो निकल रहा है...चूत से पसीना...वहां से तो सिर्फ़ रसीला रस निकलता है...तो इसका मतलब....वो गर्म हो रही है...अपने ही दामाद के लंड को देखकर...उफफफफ्फ़.....ये क्या हो रहा है उसको...अपनी ही बेटी के सुहाग पर डाका...
पर ऐसा काम तो वो पहले भी कर चुकी थी...अपनी बहन के साथ...उसके पति से अपनी चूत और गांड मरवाकर... अपने जीजा से उसने जितने मज़े लिए थे, शायद ही अपने किसी और आशिक़ से लिए होंगे, पति के अलावा...
पर अजय जैसा जवान उनमे से कोई भी नही था...और ऐसे जवान लोंडो के कड़क लंड की प्यास तो उस जैसी गर्म औरत की चूत को हमेशा से रहती है..
भले ही वो पहले मज़ाक में अपने दामाद के बारे में ग़लत सोच रही थी..पर अब उसके लंड को देखने के बाद वो मज़ाक अब मज़ाक नही रह गया था...
अजय भी कुछ देर तक इधर-उधर देखने के बाद खिसियानी सी हँसी हंसता हुआ अपनी सास को देखने लगा.
उसके उभरे हुए निपल देखकर वो ये तो समझ ही चुका था की उसने अंदर ब्रा भी नही पहनी है..और चेहरे पर उड़ रही हवाइयां देखकर ये भी समझ गया की अंजाने में ही सही उसने अपनी सास को उत्तेजित कर दिया है.
ये वही बिस्तर था जिसपर उसकी सास ने अपने जीजू से गांड मरवाई थी...
रजनी : "तुम्हे देखकर तो लगता है की एक दिन काटना भी मुश्किल होगा तुम्हारा प्राची के बिना...अभी तो आगे चलकर बहुत बर्दाश्त करना पड़ेगा...''
उसकी बातों में एक उल्हास सा था..
और अजय ये बात अच्छी तरह से जानता था की उस जैसे ठरकी को जिस दिन मारने के लिए अपनी बीबी की चूत नही मिलेगी तो उसका क्या हाल होगा...देखा जाए तो उसके चारों तरफ ढेर सा लगा हुआ था..पर अभी तक कहीं भी शुरूवात तो नही हुई थी ना...और ऐसे एकदम से किसी को भी चूत देने के लिए बोलेगा तो वो तैयार भी नही होगी...उसके ठरकी दिमाग़ ने तो काम ही करना बंद कर दिया इस विचार के आते ही..
और फिर अचानक उसने कुछ डिसाइड सा किया अपने मन में और अपनी सास से बोला : "अब मैं रोज तो ऐसे काम चलाने वाला नही हू...आपको ही मेरी मदद करनी होगी.''
अजय ने बड़ी ही बेबाकी से बड़े ही सपष्ट शब्दों में अपनी सास को ये बात बोल दी, जिसे सुनकर रजनी को भी अपने कानों पर विश्वास नही हुआ...भले ही अंदर ही अंदर वो भी अजय की तरफ आकर्षित हो चुकी थी, पर उसके दिल में एक द्वंद भी चल रहा था की वो अपनी बेटी के सुहाग पर डाका डाले या नही...जीजू के साथ करने में और दामाद के साथ ऐसे संबंध बनाने में काफ़ी फ़र्क होता है..
और ऐसे में अजय सामने से खुद उसके साथ ऐसी बाते कर रहा था जिसे अगर वो सीधी तरह से मान लेती है तो उसकी क्या इज़्ज़त रह जाएगी अपने दामाद के सामने..
ये सोचते ही वो एक झटके से उठ खड़ी हुई और बोली : "ये क्या बोल रहे हो अजय...मज़ाक अपनी जगह है..ऐसी बातें तुम्हे शोभा नही देती...समझे..सो जाओ अब..''
और इतना कहकर वो मूडी और बाहर जाने लगी...ऐसा करके वो अजय को अपना गुस्सा दिखा रही थी और उसे ये जता रही थी की उसे अजय की बात बिल्कुल भी अच्छी नही लगी..
पर तभी अजय ने कुछ ऐसा बोला की वो जाते-2 एकदम से रुक सी गयी..
''नही जीजू....पिच्छू से नही....पिच्छू से नही...''
ये शब्द सुनते ही रजनी के माथे पर पसीना आ गया...उसके चेहरे की रंगत उड़ सी गयी...ये तो उसने अपने जीजू को बोला था, इसी कमरे में ..जब उन्होने उसकी गांड मारने की ज़िद की थी...पर ये बात अजय को कैसे पता चली...क्या उसने इस कमरे में कोई कैमरा छुपाया हुआ है...या फिर शायद उस रात वो छुपकर उनकी चुदाई देख रहा था...
और ये ख़याल आते ही उसका शरीर काँप उठा...और वो थरथराती हुई सी पलटी और अजय से बोली : "ये ...ये क्या बोल रहे हो...अजय....तुम...''
उसके चेहरे की घबराहट देखकर अजय समझ गया की उसका तीर एकदम निशाने पर लगा है..
वो बोला : "अब आप इतनी भी नादान नही है सासू माँ की ये भी ना समझे की मैं क्या बोल रहा हू...ये वही लाइन है ना जो आपने अपने प्यारे जीजू यानी मुंबई वाले मौसा जी से कही थी...इसी कमरे में ...इसी बिस्तर पर....जब वो और आप बिल्कुल नंगे''
वो इतना ही बोल पाया था की रजनी एकदम से आगे आई और उसके मुँह पर हाथ रखकर उसे चुप करा दिया....
रजनी : "मत बोलो प्लीज़.....चुप रहो ....प्राची ने सुन लिया तो बहुत बुरा होगा...''
अपनी सेक्सी सास को एकदम से अपने इतने करीब पाकर अजय का ईमान डोल गया...और उपर से उनकी नर्म उंगलियों को अपने दहक रहे होंठों पर महसूस करते ही उसका धैर्य भी जवाब दे गया और उसने अपना मुँह खोलकर उनकी नर्म उंगलियों को निगल लिया और चाट लिया.
रजनी ने एकदम से अपना हाथ खींचा और बोली : "अजय...होश में आओ...ये क्या बदतमीज़ी है....''
और इतना कहकर वो जैसे ही पीछे जाने लगी, अजय ने उनकी कमर मे हाथ डालकर उन्हे जकड़ लिया और बोला : ''ये बदतमीज़ी नही,प्यार है...जो अब आप मुझे देगी...जैसा आपने अपनी जीजू को दिया था...अब मुझे दो..''
अजय की ऐसी डिमांड सुनकर अंदर ही अंदर रजनी का शरीर जल सा उठा...अपनी मर्ज़ी से भले ही उसने आज तक कई जिस्मानी संबंध कायम किए थे, पर ऐसे ज़बरदस्ती किसी ने नही की थी उसके साथ...वो कसमसाने सी लगी..पर अजय की पकड़ से छूट ही नही पाई वो..
रजनी भी समझ गयी की वो बुरी तरह से फँस चुकी है..पर अपनी तरफ से अभी भी वो अजय का पूरा विरोध कर रही थी...
अजय ने उसे अपनी तरफ खींचना शुरू किया और उसके चेहरे को बिल्कुल अपने करीब ले आया...और जैसे ही वो और ज़ोर लगाकर उनके नर्म होंठों को चूमने की कोशिश करने लगा, बाहर से प्राची की आवाज़ आई : "मम्मी....मम्मी कहाँ हो आप....''
ये साली प्राची की नींद भी अभी खुलनी थी...अजय झल्ला सा गया ..और उसने ना चाहते हुए भी अपनी सास को छोड़ दिया.
और उसके छोड़ते ही प्राची अंदर आ गयी...और सास-दामाद को ऐसे एक दूसरे के सामने खड़ा देखकर बोली : "मम्मी...आप यहाँ है...मैं कब से आवाज़ें लगा रही थी...''
उसकी आँखो मे कुछ प्रश्न भी थे, जैसे पूछना चाहती हो की आप दोनो इतनी रात को ऐसे खड़े हुए क्या कर रहे है..
रजनी : "अरे..मैं बस अभी आई थी....अजय काफ़ी देर से जाग रहा था...अपना लेपटोप खोलकर काम कर रहा था...मैने यही बोला की अब सो जाए...सुबह से परेशन सा है बेचारा...''
तब तक अजय ने लेपटोप उठा कर बंद कर दिया था, वरना प्राची भी देख लेती की वो क्या ज़रूरी काम कर रहा था.
प्राची : "ओहो...मम्मी, ये तो इनकी आदत है...'' और फिर वो अजय की तरफ देखकर बोली : "चलो अजय...अब सो जाओ...काफ़ी रात हो चुकी है...''
और इतना कहकर दोनो माँ बेटियाँ उस कमरे से बाहर निकल गयी और बेडरूम में जाकर सो गयी..
पर अजय भी बड़ा हरामी था...उसका लंड अभी तक रोड की तरह अकड़ा हुआ खड़ा था...उसने भी अपने ठरकीपन की कसम खाई की आज जो भी हो जाए वो अपनी सास के साथ मज़े लेकर ही रहेगा.
बस फिर क्या था, वो इंतजार करने लगा...एक बार फिर से प्राची के सो जाने का..
उन दोनो के जाने के काफ़ी देर तक तो अजय अपने कमरे में टहलता रहा...बार -2 उसकी नज़र घड़ी पर जा रही थी...साढ़े ग्यारह बज चुके थे..उसका दिमाग़ इस वक़्त चाचा चौधरी से भी तेज चल रहा था..एक के बाद एक तरकीब उसके दिमाग़ में आती जा रही थी...और वो उन सभी को साकार करने के सपने देखता हुआ अपने लंड को रगड़ता हुआ घूम रहा था रूम में । पर इन सबके बीच सबसे बड़ी प्राब्लम उसकी बीबी भी थी...जो उसी रूम में सो रही थी..और वैसे भी उसकी सास ने भी अपनी तरफ से कोई पहल नही की थी..वरना उसकी चूत के बाल पकड़कर वो उसे वापिस अपने कमरे में घसीट लाता और चोद देता उस हुस्न से लदी औरत को..
आख़िरकार करीब 12:30 के आस पास उसने अपना इरादा पक्का कर ही लिया और धीरे से वो अपने कमरे से बाहर निकला..पूरे घर में सन्नाटा छाया हुआ था..अजय उनके कमरे में पहुँचा तो उसकी बीबी के खर्राटों की आवाज़ उसे सुनाई दे गयी...प्राची के ऐसे खर्राटे सॉफ दर्शाते है की वो कितनी गहरी नींद में है..इसलिए उसकी तरफ से बेख़बर होकर वो अंदर घुस गया...पर उसकी बदक़िस्मती तो देखो, कमरे में दाखिल होते ही साइड टेबल से उसका पैर टकराया और उसपर रखा स्टील का ग्लास नीचे गिर गया..
पूरे कमरे का सन्नाटा भंग हो गया...प्राची के खर्राटे भी एकदम से बंद हो गये..और अजय को उस वक़्त कुछ नही सूझा तो वो कुत्ते की तरह अपने हाथ और पैर पर बैठ गया..बेड की आड़ लेकर..पर शुक्र था की उन दोनो में से कोई भी उठा नही..अजय की तो फट कर हाथ में आ गयी थी..एक पल के लिए तो उसने सोचा की वापिस चला जाए पर अगले ही पल उसके दिमाग़ में आया की जब इतनी तेज आवाज़ से उन दोनो की नींद नही खुली तो कुछ करने के बाद कैसे खुलेगी..इसलिए वो डॉगी स्टाइल में चलता हुआ धीरे-2 बेड के दूसरी तरफ पहुँच गया..जहाँ उसकी सास रजनी सो रही थी.
वहां पहुँचकर उसने अपना मुँह उपर करते हुए उन दोनो के चेहरे को देखा, हल्की रोशनी में सही से तो दिखा नही पर दोनो की आँखे बंद ही थी..उसने तो ख़ासकर अपनी बीबी के चेहरे को घूरकर देखा क्योंकि वो सुनिश्चित कर लेना चाहता था की वो सो रही है...और फिर अपनी सास के चेहरे को देखा..सोते हुए वो बड़ी मासूम सी लग रही थी...चादर नीचे गिर चुकी थी, इसलिए उसकी उठी हुई चुचियों को देखकर उसके मुँह में पानी आ गया..और उसने हिम्मत करते हुए अपना हाथ आगे किया और धीरे से उनपर रख दिया.
उनकी तरफ से कोई हरकत नही हुई तो उसने अपने हाथ का शिकंजा बड़ा दिया और अपनी उंगलियाँ अपनी सास की मक्खन जैसी चुचियों के अंदर घुसा दी...
उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़......क्या फीलिंग थी...इतनी मुलायम....इतनी मजेदार....ऐसा लग रहा था जैसे बड़े से पानी भरे गुब्बारे को दबा रहा हो वो..
अचानक उसकी हथेली में उसे अपनी सास का निप्पल चुभने लगा...जो धीरे-2 खड़ा हो चुका था...अजय ने एकदम से रजनी के चेहरे की तरफ देखा..पर वो तो गहरी नींद में सो रही थी...यानी नींद में वो उत्तेजित हो रही थी..भले ही वो नींद में थी पर अजय के स्पर्श से उसका शरीर जवाब दे रहा था..
अजय के चेहरे पर शरारती मुस्कान तैर गयी, अब उसकी हिम्मत भी बढ़ चुकी थी...उसने धीरे से अपनी सास के नाइट सूट की शर्ट का बटन खोल दिया..एक के बाद दूसरा खोलते ही उसका आधे से ज़्यादा मुम्मा नज़र आ गया उसे...अब वो धीरे से उपर उठा और अपनी तेज सांसो को संभालते हुए अपने चेहरे को उन पहाड़ियों के करीब ले गया और झोंक दिया अपने पूरे चेहरे को उनपर...और उन मुम्मों के नरमपन को महसूस करते ही उसके हाथ हरकत में आ गये और उसने तेज़ी से दो और बटन खोल डाले..
और ऐसा करते ही उन तरबूजों को संभाल कर रखने वाला बाँध टूट गया और दोनो बिफर कर आज़ाद हो गये..अजय ने दोनो को हाथों में पकड़ा और अपना मुँह खोलकर उन दोनो निप्पल्स को एक-2 करके चाटने लगा...पहले लेफ्ट वाले को और फिर राइट वाले को...
और दूसरे को मुँह में लेते ही ना जाने उसके अंदर कौन सा जानवर जाग गया उसने जोरों से चूस्कर उसपर अपने दाँत से काट लिया..
cntd.........
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