Friday, June 26, 2015

तेरा मेरा रिश्ता part 3

मेरा मन चीख उठा... चोद दे रे... हाय राम इतना तो मत तड़पा... !


मैंने सोचा कि यदि मैं सीधे लेट जाऊँ तो शायद यह मेरे ऊपर चढ़ जाये और चोद दे मुझे।


मैं धीरे से सीधे हो गई... पर वो चुप से किनारे हो गया। तभी मैंने खर्राटे लेने जैसी आवाज की... तो वो समझ गया कि मैं अभी भी गहरी नींद में ही हूँ।


उसने ध्यान से मेरे पेटीकोट की तरफ़ देखा और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया।


मेरा दिल अब खुशी के मारे उछलने लगा... लगा बात बन गई। पर नहीं ! उसने बस मेरा पेटीकोट धीरे से नीचे किया और मेरी चूत खोल दी, उस पर अपनी अंगुली घुमाने लगा।


चूत पूरी भीग कर चिकनी हो चुकी थी। मैंने भी जान कर अपनी टांगें चौड़ा दी। उसने सहूलियत देख कर अपनी एक अंगुली मेरी चूत में पिरो दी।


मुझे अचानक महसूस हुआ कि उसका लण्ड बेतहाशा तन्ना रहा था, बहुत ही सख्त हो गया था। वो मेरे कूल्हों से बार बार टकरा रहा था। फिर वो उठा और धीरे से उसने मेरा मुख चूमा... और बिस्तर से धीरे से सरक कर नीचे उतर गया।


मेरा मन तड़प उठा। उफ़्फ़्फ़... मेरी तरसती चूत को छोड़ कर वो तो जा रहा था। अब क्या करूँ?


पर वो गया नहीं... वहीं नीचे बैठ गया और अपनी मुठ्ठ मारने लगा।


मेरा दिल तो पहले ही पिंघल चुका था। उसे मुठ्ठ मारते देख कर मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसकी बांह पकड़ ली- यह क्या कर रहे हो देवर जी... उठो !


वो एकदम से घबरा गया- वो तो भाभी... मैं तो...


"श्...श्... भाभी का पेटीकोट उतार दिया... चूत में अंगुली घुसेड़ दी... अब और क्या देवर जी?"


"वो तो... मैं तो..."


"चुप... चल ऊपर आ जा..."


मैंने उसे अपने बिस्तर पर लेटा लिया और उससे चिपक गई।


"अरे भाभी सुनो तो...! यः क्या कर रही हैं आप...?"


यह सुन कर मुझे एकदम होश आ गया, मैंने आश्चर्य से उसे देखा- क्या हो गया देवर जी? अभी तो आप...


"पर यह नहीं... आप भाभी हैं ना मेरी... मैं यह सब नहीं कर सकता... प्लीज !"


उसने स्पष्ट रूप से मेरा अपना रिश्ता बता दिया। मुझे कुछ शर्मिंदगी सी भी हुई... बुरा भी लगा, गुस्सा भी आया...


पर मैंने अपने आप को सम्भाला...


ओह अंकित... ऐसा कुछ भी नहीं है... बस तुझे नीचे देखा तो ऊपर ले लिया... अब सो जा...


देखेंगे आगे क्या हुआ !

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