धीरा को अब मजा आने लगा था चौधराईन की लंड से गांड मरवाने में,उत्तेजना के मारे व अपने आप से बाहर हो जोर-जोर से चौधराईन की लंड में गांड पेल के चुदने लगा । चौधराईन की गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनको अपने ऊपर झुकाकर उनकी बड़ी-बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलने और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा-तॅहा मुंह मारते हुए अपना गांड मरवाने लगा। हर धक्के लगाने के बाद चौधराईन की मुंह से आवाजें आ रही थी- "आह आहहहह उम्म्म...आहहहहहह उम्म्म्ह.....।" उनकी उछलती संगमरमरी जांघ और भारी चुतडों को पिछे लगे शीशे में देख धीरा पागल हो रहा था । धीरा ने अपनी दोनों टांगे हवा मे फैला दिया था, जिससे चौधराईन की लण्ड उसकी गांड की जड़ तक धॉंसकर जा रहा था । फिर चौधराईन ने धीरा के दोनों टांगे उठाकर अपनी कंध़ों पर रख दी । अब हर धक्के पे चौधराईन की चिकनी संगमरमरी जांघें धीरा की गांड से टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे, जिससे फट-फट की आवाज आ रही थी । तभी अचानक चौधराईन ने दोनों हाथों में धीरा की चूतड़ों को दबोचकर उसे गोद में उठा लिया और खड़ी हो गई । न जाने कितनी ताकत छिपी थी चौधराईन की बाजुओं में । धीरा उनके गुलाबी मांसल बाहों बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों को होंठों दांतों मे दबा चूसने लगा । अब चौधराईन भी निचे से अपनी गुदगुदे गददेदार चूतड़ उछाल उछाल कर धीरा की गांड में जड़ तक लण्ड घुसा कर चोदने लगी । करीब आधे घंटे तक पागलों की तरह चौधराईन ने धीरा के नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर चोदने के बाद ऐसा लगा कि अचानक दोनों के जिस्म ऐंठ रहे हों तभी चौधराईन ने धीरा को नीचे गद्दे पर लिटा दिया और हुमच हुमचकर गांड में लंड पेलने लगी कि अचानक तभी चौधराईन ने जोर से अपने उभरी चूतड़ों को उछाला और अगला धक्का मारा कि उनके जिस्मों से जैसे लावा फूट पडा । चौधराईन के मुंह से जोर से निकला- "आहहहह ....उईईई ...।" चौधराईन उपर से अपनी कमर और चूतड़ों का दबाव डालकर अपनी लंड के धीरा की गांड में जड़ तक धॉंसकर झड़ रही थी और धीरा भी एक हाथ से अपना लंड और दुसरी हाथ से उनकी भारी चूतड़ों को दबोचकर चौधराईन की पेट पर पिचकारी छोड दी । चौधराईन निढाल हो धीरा के ऊपर लुढक गई । थोड़ी देर में चौधराईन उठी और धीरा की गांड से अपनी लंड निकालते हुए बोली- "हाय बल्लू मैं तो बहुत थक गयी हूँ,अब मैं गरम पानी से स्नान करूंगी तभी थकान उतरेगी ।
बल्लू ने कहा ठीक है मालकिन चलिये मैं भी आपकी मदद करता हूँ । वो देख रहा था कि चौधराईन का लन्ड डबल चुदाई की थकान से निढाल है। उसने उनकी दोनों बगलों में हाथ डाल सहारा देकर चौधराईन को उठने में मदद की । बगलों में हाथ डालकर उठाने में चौधराईन की बड़ी-बड़ी चूचियां भी बल्लू के हाथों में आ गयी । वो उनकी तरफ़ देखने लगा। बल्लू को अपनी तरफ़ देखता पा कर चौधराईन बोली- “क्या देख रहा है बल्लु !!!.मेरी लंड देख रहा है.... अरे तु चिंचा मत कर, अभी ये तीसरे राऊंड के लिए तैयार हो जाएगा ।" बल्लू ने जवाब दिया- “कुछ नहीं मालकिन देख रहा था साले के गांड बहुत टाईट है .... कैसा रगड़कर आपकी लंड को लाल कर दिया है।” ठकुराइन ने मुस्कराते हुए अपनी मुरझे हुए मोटा लण्ड को थामकर सहलाते हुए जवाब दिया- “तू घबरा मत अभी चौधराईन में बहुत दम है अभी गरम पानी से स्नान करने के बाद तीसरा राउण्ड में पुरा का पुरा मजा दुंगी तुझे । अगर उसके बाद भी दम बचे तो सारी रात अपनी है।” बल्लू मान गया कि एक जबरदस्त गांड चोदने के बाद भी चौधराईन की लन्ड दुसरे को चोदने का दम रखती है और अपने चौधरी साहब से किसी तरह कम नहीं है। चौधराईन आगे-आगे और व पीछे-पीछे बाथरूम की तरफ़ जाने लगे । बल्लू बाथरूम की तरफ जाती चौधराईन को देख रहा था । वो पूऱी तरह नंगी थी उसकी गोरी गुलाबी भरी हुई चिकनी पीठ उभरी हुई भारी चूतड़ चलने पर थिरक रहे थे । बाथरूम में पहुँचकर चौधराईन टब का फव्वारा चलाने के लिए झुककर उसकी टोटी घुमाने लगी । झुकी हुयी चौधराईन की बड़े-बड़े गुलाबी चूतड़ों के बीच में से लम्बा मोटा लन्ड और बडे-बडे अंडे दिखे जिससे वो चोदने वाली थी । चौधराईन टब में घुस गयी ओर बल्लू एक हाथ में फव्वारा लेकर दुसरे हाथ से चौधराईन का संगमरमरी गदराया बदन मलमलकर नहलाने लगा । बल्लू के मर्दाने हाथ बड़े बड़े उरोजों पर फिसल रहे थे। मर्दाने हाथों के स्पर्ष से वो फिर से उत्तेजित होने लगी थी। बल्लु चौधराईन को होंठों से पकड़कर चूसने लगा निप्पलो को बारी बारी से होंठों में ले कर चुभलाने चूसने लगा बल्लू के मरदाने हाथ उनकी मोटी मोटी चिकनी गुलाबी जांघों उनके बीच में आधी तनी हुई लन्ड और अंडकोष से होते हुए भारी नितंबों सुन्दर टांगों पर फिसल रहे थे। बल्लू के होंठ चौधराईन के बड़े-बड़े उरोजों गदराये पेट गोल नाभी से फिसलकर काले बालों से भरी मूषल लंड पर पहुंचे । बल्लू ने चौधराईन की लंड होंठों में दबाकर चूसते हुए कहा- “हाय मालकिन मैनें कभी सोचा भी नहीं था कि औरतों की भी इतनी बडी लंड होगी !!!! ।" "अरे .....तुने क्या सोचा था लंड केवल मर्द के पास होगा ?... हम लोगों के पास भी लंड है और मैं पुरी तरह से चोदाई कर सकती हुं..।" यह कहकर चौधराईन टॉब से उठ गई और बल्लू को टॉब में पेल दिया और अपनी साढ़े नौ इंच की मूषल लंड को थाम कर उसकी गांड के छेद पर रगड़ने लगी ।
चौधराईन ने अपना एक पैर टब की दीवार पर जमायी और उस पर बल्लू ने अपना जांध चढ़ाया अब चौधराईन की लण्ड का सुपाड़ा ठीक छेद के मुंह पर था । बल्लू न अब अपने दोनों हाथों की उंगलियां उनके भारी चूतड़ों पर जमा गांड उचकाया तो सट से चौधराईन की पूरी लण्ड उसके गांड के अन्दर चला गया । पूरा लण्ड अन्दर जाते ह़ी ठकुराइन ने सिसकारी भरी- "उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म महा ।" चौधराईन ने भी तीन चार धक्का कस के लगाई फिर लण्ड को गांड के अन्दर ही रहने दिया और बल्लू को वैसे ही गोद में उठा लिया । बल्लू ने अपना दोनो टॉगें चौधराईन की उभरी गुदाज गांड के इपर लपेट लिया और अपना बाहें उनकी गले में डाल दिया । चौधराईन की बड़ी-बडी स्तन बल्लू के छाती से टकरा रहे थे । चौधराईन अपने दोनो हाथ बल्लू के चूतड़ों पर जमाये हुए उसे कमरे की तरफ़ ले चली । चलने से लगने वाले हिचकोलों से चौधराईन की लण्ड बल्लू की गांड में थोड़ा अन्दर- बाहर हो रहा था। कमरे में पहुँचकर उन्होंने देखा नन्दू और धीरा जमीन वाले से गद्दे से उठकर पलंग पर सो रहे हैं। चौधराईन को हॅंसी आ गयी व बोली- “काफ़ी समझदार हैं साले हमारे चुदायी के खेल के लिए पूरा ही गद्दा खाली कर दिया।” फिर व हॅंसते हुए बल्लू को गोद से उतार दिया जिससे चौधराईन की लण्ड बल्लू की गांड से झटके से निकल गया और उनकी मुँह से “हाय” निकल गयी । उसने एक तौलिया बल्लू को दिया क्योंकि वो भी भीग गया था दूसरे से अपना बदन पोंछने लगी । बदन पोंछकर दोनों गद्दे पर आ गये। चौधराईन की लण्ड मीनार की तरह खड़ा था । चौधराईन और बल्लू ने एक दूसरे की तरफ करवट ली बल्लू ठकुराइन की बड़े-बड़े उरोजों और निप्पलों को टटोलते हुए बोला- “हाय मालकिन अब तो शुरू करें।” चौधराईन ने बल्लू के पीछे लेट गई और पीछे से उसे अपनी बाहों में भर कर उसकी पीठ पर स्तनों को रगडने लगी । बल्लू ने भी गरदन पीछे कर चौधराईन की रसीले होंठों को चुमने लगा । चौधराईन की लंड एकदम खडी हो गई थी और बल्लू के गांड पर रगड खा रहे थे । तभी चौधराईन ने अपनी एक उंगली बल्लू के मुंह में घुसा दी। बल्लू ने चौधराईन की उंगली को चुस के पुरा गीला कर दिया । फिर चौधराईन अपनी गीली उंगली को बल्लू की मुंह से निकाल के सीधे उसकी गांड छेद में डाल दी और गोल-गोल घुमाने लगी । बल्लू को चौधराईन की हरकतों से मजा आने लगा था । कुछ देर उसक गांड में उंगली अंदर-बाहर करने बाद चौधराईन ने बल्लू की एक टांग उपर उठा दी, अब उसके गांड का छेद फैल गया । चौधराईन अब अपनी लण्ड को हाथ से पकड़ कर सुपाड़ा ठिकाने से लगाया और धक्का मारा । उनका पूरा का पूरा लण्ड अन्दर चला गया और उनकी मुँह से सिसकारी निकला गई– "ओहहहहहहहहहहह भई वाह।" चौधराईन अब बल्लू के पीठ पर अपनी चुचीयों के निप्पलों को दबाती हुई धीरे-धीरे कमर चला कर रगड़ते हुए चोदने लगी । बल्लू के एक हाथ की उंगलियां चौधराईन की मोटी-मोटी संगमरमरी चिकनी जांघों को सहला गद्देदार भारी नितंबों को दबा रह था।
बल्लू ने कहा ठीक है मालकिन चलिये मैं भी आपकी मदद करता हूँ । वो देख रहा था कि चौधराईन का लन्ड डबल चुदाई की थकान से निढाल है। उसने उनकी दोनों बगलों में हाथ डाल सहारा देकर चौधराईन को उठने में मदद की । बगलों में हाथ डालकर उठाने में चौधराईन की बड़ी-बड़ी चूचियां भी बल्लू के हाथों में आ गयी । वो उनकी तरफ़ देखने लगा। बल्लू को अपनी तरफ़ देखता पा कर चौधराईन बोली- “क्या देख रहा है बल्लु !!!.मेरी लंड देख रहा है.... अरे तु चिंचा मत कर, अभी ये तीसरे राऊंड के लिए तैयार हो जाएगा ।" बल्लू ने जवाब दिया- “कुछ नहीं मालकिन देख रहा था साले के गांड बहुत टाईट है .... कैसा रगड़कर आपकी लंड को लाल कर दिया है।” ठकुराइन ने मुस्कराते हुए अपनी मुरझे हुए मोटा लण्ड को थामकर सहलाते हुए जवाब दिया- “तू घबरा मत अभी चौधराईन में बहुत दम है अभी गरम पानी से स्नान करने के बाद तीसरा राउण्ड में पुरा का पुरा मजा दुंगी तुझे । अगर उसके बाद भी दम बचे तो सारी रात अपनी है।” बल्लू मान गया कि एक जबरदस्त गांड चोदने के बाद भी चौधराईन की लन्ड दुसरे को चोदने का दम रखती है और अपने चौधरी साहब से किसी तरह कम नहीं है। चौधराईन आगे-आगे और व पीछे-पीछे बाथरूम की तरफ़ जाने लगे । बल्लू बाथरूम की तरफ जाती चौधराईन को देख रहा था । वो पूऱी तरह नंगी थी उसकी गोरी गुलाबी भरी हुई चिकनी पीठ उभरी हुई भारी चूतड़ चलने पर थिरक रहे थे । बाथरूम में पहुँचकर चौधराईन टब का फव्वारा चलाने के लिए झुककर उसकी टोटी घुमाने लगी । झुकी हुयी चौधराईन की बड़े-बड़े गुलाबी चूतड़ों के बीच में से लम्बा मोटा लन्ड और बडे-बडे अंडे दिखे जिससे वो चोदने वाली थी । चौधराईन टब में घुस गयी ओर बल्लू एक हाथ में फव्वारा लेकर दुसरे हाथ से चौधराईन का संगमरमरी गदराया बदन मलमलकर नहलाने लगा । बल्लू के मर्दाने हाथ बड़े बड़े उरोजों पर फिसल रहे थे। मर्दाने हाथों के स्पर्ष से वो फिर से उत्तेजित होने लगी थी। बल्लु चौधराईन को होंठों से पकड़कर चूसने लगा निप्पलो को बारी बारी से होंठों में ले कर चुभलाने चूसने लगा बल्लू के मरदाने हाथ उनकी मोटी मोटी चिकनी गुलाबी जांघों उनके बीच में आधी तनी हुई लन्ड और अंडकोष से होते हुए भारी नितंबों सुन्दर टांगों पर फिसल रहे थे। बल्लू के होंठ चौधराईन के बड़े-बड़े उरोजों गदराये पेट गोल नाभी से फिसलकर काले बालों से भरी मूषल लंड पर पहुंचे । बल्लू ने चौधराईन की लंड होंठों में दबाकर चूसते हुए कहा- “हाय मालकिन मैनें कभी सोचा भी नहीं था कि औरतों की भी इतनी बडी लंड होगी !!!! ।" "अरे .....तुने क्या सोचा था लंड केवल मर्द के पास होगा ?... हम लोगों के पास भी लंड है और मैं पुरी तरह से चोदाई कर सकती हुं..।" यह कहकर चौधराईन टॉब से उठ गई और बल्लू को टॉब में पेल दिया और अपनी साढ़े नौ इंच की मूषल लंड को थाम कर उसकी गांड के छेद पर रगड़ने लगी ।
चौधराईन ने अपना एक पैर टब की दीवार पर जमायी और उस पर बल्लू ने अपना जांध चढ़ाया अब चौधराईन की लण्ड का सुपाड़ा ठीक छेद के मुंह पर था । बल्लू न अब अपने दोनों हाथों की उंगलियां उनके भारी चूतड़ों पर जमा गांड उचकाया तो सट से चौधराईन की पूरी लण्ड उसके गांड के अन्दर चला गया । पूरा लण्ड अन्दर जाते ह़ी ठकुराइन ने सिसकारी भरी- "उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म महा ।" चौधराईन ने भी तीन चार धक्का कस के लगाई फिर लण्ड को गांड के अन्दर ही रहने दिया और बल्लू को वैसे ही गोद में उठा लिया । बल्लू ने अपना दोनो टॉगें चौधराईन की उभरी गुदाज गांड के इपर लपेट लिया और अपना बाहें उनकी गले में डाल दिया । चौधराईन की बड़ी-बडी स्तन बल्लू के छाती से टकरा रहे थे । चौधराईन अपने दोनो हाथ बल्लू के चूतड़ों पर जमाये हुए उसे कमरे की तरफ़ ले चली । चलने से लगने वाले हिचकोलों से चौधराईन की लण्ड बल्लू की गांड में थोड़ा अन्दर- बाहर हो रहा था। कमरे में पहुँचकर उन्होंने देखा नन्दू और धीरा जमीन वाले से गद्दे से उठकर पलंग पर सो रहे हैं। चौधराईन को हॅंसी आ गयी व बोली- “काफ़ी समझदार हैं साले हमारे चुदायी के खेल के लिए पूरा ही गद्दा खाली कर दिया।” फिर व हॅंसते हुए बल्लू को गोद से उतार दिया जिससे चौधराईन की लण्ड बल्लू की गांड से झटके से निकल गया और उनकी मुँह से “हाय” निकल गयी । उसने एक तौलिया बल्लू को दिया क्योंकि वो भी भीग गया था दूसरे से अपना बदन पोंछने लगी । बदन पोंछकर दोनों गद्दे पर आ गये। चौधराईन की लण्ड मीनार की तरह खड़ा था । चौधराईन और बल्लू ने एक दूसरे की तरफ करवट ली बल्लू ठकुराइन की बड़े-बड़े उरोजों और निप्पलों को टटोलते हुए बोला- “हाय मालकिन अब तो शुरू करें।” चौधराईन ने बल्लू के पीछे लेट गई और पीछे से उसे अपनी बाहों में भर कर उसकी पीठ पर स्तनों को रगडने लगी । बल्लू ने भी गरदन पीछे कर चौधराईन की रसीले होंठों को चुमने लगा । चौधराईन की लंड एकदम खडी हो गई थी और बल्लू के गांड पर रगड खा रहे थे । तभी चौधराईन ने अपनी एक उंगली बल्लू के मुंह में घुसा दी। बल्लू ने चौधराईन की उंगली को चुस के पुरा गीला कर दिया । फिर चौधराईन अपनी गीली उंगली को बल्लू की मुंह से निकाल के सीधे उसकी गांड छेद में डाल दी और गोल-गोल घुमाने लगी । बल्लू को चौधराईन की हरकतों से मजा आने लगा था । कुछ देर उसक गांड में उंगली अंदर-बाहर करने बाद चौधराईन ने बल्लू की एक टांग उपर उठा दी, अब उसके गांड का छेद फैल गया । चौधराईन अब अपनी लण्ड को हाथ से पकड़ कर सुपाड़ा ठिकाने से लगाया और धक्का मारा । उनका पूरा का पूरा लण्ड अन्दर चला गया और उनकी मुँह से सिसकारी निकला गई– "ओहहहहहहहहहहह भई वाह।" चौधराईन अब बल्लू के पीठ पर अपनी चुचीयों के निप्पलों को दबाती हुई धीरे-धीरे कमर चला कर रगड़ते हुए चोदने लगी । बल्लू के एक हाथ की उंगलियां चौधराईन की मोटी-मोटी संगमरमरी चिकनी जांघों को सहला गद्देदार भारी नितंबों को दबा रह था।
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