Thursday, June 25, 2015

चौधराइन की चुदाई part 2

चौधराईन अपनी पूरा पेटीकोट ऊपर समेट कर लंड को मुठ्ठी में भर नन्दू की नंगी गोद में बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतड़ों को रखकर बैठ गयीं। फिर बोली – “अब बताओ फिर क्या हुआ।” पहले तो चौधराईन का यह बडा सा लंड देख कर सबके जोश ठंडा पड गया, पहली बार वे किसी औरत की लंड देख रहे थे । लेकिन उनकी यह दोहरी मस्ताना रूप देखकर कुछ ही पल में उनकी हिम्मत दुगनी जोश क साथ बढी और धीरा बोला – “हमने देखा चौधरी साहब के एक तरफ़ शीला और दूसरी तरफ़ बेला बैठी थी । साहब के हाथ उनकी गरदनों के पीछे से होकर उनके ब्लाउज में घुसे हुए थे और उनके उरोजों से खेल रहे थे।” चौधराईन चहकी – “अरे ये तो और भी आसान है आ जाओ दोनों फ़टाफ़ट।” इतना सुनना था कि दोनों चौधराईन की तरफ झपटे । चौधराईन के ब्लाउज में एक तरफ से धीरा ने हाथ डाला और दूसरी तरफ से बल्लू ने । चौधराईन के ब्लाउज के बटन सारे के सारे खुल गये और उनके बड़े बड़े खरबूजों जैसे गुलाबी स्तन बाहर आ गये। धीरा और बल्लू अपने दोनों हाथों से उनके एक एक विशाल स्तन को थाम कर उनके निप्पल को कभी चूसने लगते तो कभी अपने अंगूठो और अंगुलियो के बीच मसलने लगते। उधर नन्दू का लण्ड चौधराईन के बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतडों के बीच साँप की तरह लम्बा होकर उनकी बडे-बडे अंडों तक फैल रहा था। व चौधराईन की गोरी गदरायी कमर को सहलाते हुए उनके गुदगुदे चिकने पेट और नाभी को टटोल रहा था और उनकी गोल नाभी में उंगली डाल रहा था । चौधराईन सिसकारी भरते हुए बोली– “आ.हहहह... बताओ .......आगे क्या हुआ ।” धीरा और बल्लू चौधराईन के बड़े बड़े स्तनों को मसलते हुए बोले– “पता नहीं मालकिन क्योंकि फिर हम चले आये आपके पास फ़रियाद लेकर।” चौधराईन ने चुटकी ली – “अभी तो कह रहे थे कि तुम भी मर्द हो क्या अन्दाज़ा नहीं लगा सकते।”

यह कहते हुए उन्होंने झटसे उनकी धोतियॉं खीचकर निकाल दी अब उनके नीचे के बदन बिलकुल नंगे हो गई उन लोगों ने देखा कि चौधराईन की लन्ड बार-बार हवा में ऊपर-नीचे हो रहा है । चौधराईन की हवा में लहराते फौलादी लन्ड देखकर तीनों मस्त हो रहे थे । फिर चौधराईन ने अपने दोनों हाथों में उनका एक एक लण्ड थाम लिया और सहलाने लगी । चौधराईन के ऐसा करने से वे और भी जोश में आ गये और उनकी बड़ी बड़ी चूचियॉं को जोर-जोर से दबाने और उनके निप्पल को कभी चूसने कभी चुभलाने लगे । तभी नन्दू ने चौधराईन की तनी लंड को मुठ्ठी में भर लिया और सुपाडी पर अपनी अंगुली चलाने लगा, चौधराईन के मुंह से एक सिसकारी सी निकली वो अपने होंठों को दांतों में दबाये थी । वह अपने आपको रोक नहीं पा रही थी। वह नन्दू को उत्साहित कर रही थी । नन्दू का लण्ड भी तन रहा था। अचानक चौधराईन उठ गयी और पलट कर नन्दू की तरफ घूम कर फिर से उसकी गोद में बैठ गयीं । चौधराईन की मोटी-मोटी नर्म चिकनी जांघों के बीच में उनकी फौलादी लण्ड का सुपाड़ा की नन्दु की लंड की तरफ़ मुंह उठाये था । नन्दू भी उत्तेजन में अपन आप से बाहर हो रहा था, उसने झपट़कर दोनों हाथों में चौधराईन की बड़ी बड़ी चूचियों दबोच ली और उठकर उनपर मुंह मारने लगा । अब चौधराईन ने नन्दू के लण्ड को पकड़कर सुपाड़ा अपनी चौडी गांड के भूरे छेद पर धरा और धीरे-धीरे पूरा लण्ड चूत में धंसा लिया फिर बरदास्त करने की कोशिश में अपने होंठों को दांतों में दबाती हुयी पहले धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किये जब मजा बढ़ा तो उन्होंने अपने दोनों हाथों में धीरा और बल्लू का एक एक लण्ड थाम लिया और वो सिसकारियॉं भरते हुए उछल-उछल कर धक्के पे धक्का लगाने लगी । चौधराईन के बड़े-बड़े उभरे गुलाबी चूतड़ नन्दू के लण्ड और उसके आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे, साथ में चौधराईन की बडी सी लंड नंदु के पेट में रगड खा रहे थे ।

करीब आधे घंटे तक की उठापटक में नन्दू ने चौधराईन की बड़ी-बड़ी चूचियां पकड़कर एक साथ मुंह में दबा ली और दुसरे हाथ से चौधराईन की लंड को जोरों से मुठिया रहा था । तभी नंदु उनके चूतड़ों को दबोच कर अपने लण्ड पर दबाते हुए गांड की जड़ तक लण्ड धॉंसकर झड़ने लगा तभी चौधराईन के मुँह से जोर से निकला – "उम्म्म्म्म्म्म्म्हहहहह.......हह "हहह। चौधराईन जोर से उछली और अपनी उभरी गांड में जड़ तक नन्दू का लण्ड धॅंसा लिया और चुतड को लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए नंदु की लंड से निकले पानी का मजा लेने लगी । धीरा व बल्लू के लण्ड अभी भी उन्होंने अपने हाथों में पकडे हुए थे जो बुरी तरह फनफना रहे थे । यह हालत देखकर चौधराईन मुस्करायी और अपनी लंड को सहलाते हुए बोली– “घबराओ नहीं मैं अभी झड़ी नहीं हूँ और एक रात में मैं कम से कम दो राउण्ड चोदाई तो करती ही हूँ , अभी मैं तुम दोनों की गांड मारुंगी ।" बल्लू ने डरे हुए नजरों से धीरा और चौधराईन की तरफ देखा और बोला- "मालकीन मैं तो हम लोग तो कभी अपनी गांड नहीं मराई है हमसे गलती हो गई....।" "साले गांड क्या मर्द ही मार सकते हैं !!! बडे आए थे मेरी चुत मारने !!! एक-एक की गांड मारके छोडुंगी मैं, बहुत दिन हो गए गांड छेद में लंड पेले हुए ।" गुस्से से चौधराईन बोली । “तो फिर ठीक है मालकिन आप अभी आधे रास्ते पर हो सो अभी धीरा निपटा लो ।" बल्लु ने कहा । फिर चौधराईन मुस्कराते हुए बोली- “अच्छा ये बात है तो फिर तैयार रहना ।”

चौधराईन धीरा को इशारे से बुलाया । धीरा उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म और लाल पड़ गयी बड़ी बड़ी चूचियों को देख रहा था वह उनके निप्पल को अपने मुंह मे लेकर चुभलाने और अपनी जीभ से खेलने लगा । चौधराईन ने अपनी नंगी नर्म चिकनी संगमरमरी जांघों को अलग किया और अपनी तनी लंड को मुठियाती हुई बोली- "आजा प्यारे धीरा मेरी लंड तैयार ह।" चौघराईन धीरा को चित लिटा दिया और उसके दोनों टांगो के बीच में बैठ गयी और घीर के जांघों को फैला दी । इस से धीरा की गांड का छेद चौघराईन को साफ़ दिखने लगा । उसने धीरा की गांड के छेद में एक ऊँगली लगाईं । उनकी उंगली लगाते ही धीरा की बदन में सिरहन दौड गई । चौघराईन ने धीरे से उसकी गांड के छेद में उंगली डाली और चारों तरफ घुमाया । इस से धीरा की गांड का छेद कुछ खुल गया । धीरा दर्द और मस्ती से चिल्लाने लगा पर चौघराईन उसकी एक ना सुनी, और गिनती बढाती हुई उसकी गांड में लगभग अपनी चार ऊँगली को थूक लगाते हुए डाल आगे-पीछे करने लगी । फिर चौघराईन अपनी लंड के चमडी को नीचे की और लाल सुपाडी को बहार निकाली फिर सुपाडे पर ढेर साका थुक लगाई । अब चौघराईन दोनों अंगूठों से धीरा की गांड के छेद को फैला कर अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिका दिया । और धीरा के गांड के छेद के ऊपर अपनी लंड का सुपाड़ा धरा और उसे छेद पर रगड़ने लगी । थोड़ी देर में चौधराईन मारे उत्तेजना के आपे से बाहर हो गयीं और सिसकारियॉं भरने लगी । धीरा समझ गया उसने झपट़कर निचे से दोनों हाथों में चौधराईन की बड़ी-बड़ी चूचियाँ दबोच लिया । घीरा बहुत घबरा रहा था क्यूंकि चौघराईन की लंड बहुत कि लंबा और मोटा था । चौधराईन उसके ऊपर झुककर गुलाबी होंठों को धीरा के होंठों पर रखकर लण्ड का सुपाड़ा गांड में धकेला.... सुपाड़ा अन्दर जाते ह़ी उनके मुँह से निकला - “ओहहहहहहह शाबाश धीरा ..तेरी गांड बहुत टईट है.. ।” धीरा चौधराईन की बड़ी-बड़ी चूचियों को जोर-जोर से दबाते हुए उनकी गुलाबी होंठों को चूसने लगा । धीरा का गांड बेहद गरम था । चौधराईन की पूरी लण्ड अन्दर जाते ह़ी उनकी मुँह से निकला- “आहहहहहहहहहहहहहहह आह वाहहहह शाबाश धीरा अब लगा धक्का निचे से ।” कहने के साथ चौधराईन ने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकालकर वापस धक्का मारा दो तीन बार ह़ी धीरे-धीरे ऐसा किया था कि धीरा के मुँह से निकला- “मालकीन थोडा धीरे से आह... ।" "शाबाश ....लगा धक्के पे धक्का मेरी लंड पर उधर तेरी बीबी चौधरी साहब के लण्ड से जम के मजे ले रही होगी। तू भी मजे ले उनकी बीबी की लंड से गांड मरवा के और मेरी चूचियों और जिस्म का रस चूस के ।”

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